आजादी के 70 वर्ष बाद भी अपनी धरोहर के भरोसे जीवन यापन करने को मजबूर है ये महिलायें !!
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उदयपुर जिले के सलूंबर उपखंड के जावद की 4 विधवाओं की कहानी बयान कर रही है कि आज आजादी के 70 वर्ष बाद भी वह अपनी धरोहर के भरोसे जीवन यापन करने को मजबूर है। आपको बता दें कि यह महिलाएं चरखा चलाकर अपना जीवन यापन कर रही हैं सरकार द्वारा विधवा महिलाओं को जीवन यापन करने के कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन लंबे समय बाद भी इन महिलाओं को इस योजना का लाभ ना मिलना सरकारी सिस्टम पर सबसे बड़ा सवाल खड़ा करता है। सलूंबर के जावद गांव की चार महिलाएं 2 वक्त की रोटी के लिए चरखा चलाने को मजबूर है।
कई बार सरकारी राशन नही मिल पाने से भी इनको खासी परेशानी होती है। चरखे से रूई से धागा बनाती है और खाद्यी ग्राम उद्योग को देकर वहां से आने वाली आमदनी से अपना जीवन यापन पर खर्च करती हैं। यह महिलाएं कई बार अपनी शिकायत को लेकर सरपंच के पास भी गई लेकिन पोस मशीन में अंगूठे के निशान नहीं आने का हवाला देते हुए, योजनाओं को लाभ नहीं मिल पाने बात सरपंच ने कही है। जब भी महिलाओें से राशन की बात की जाती है तो उनके आँखों से आंसू निकल आते है। आखिरकार इन महिलाओं के दर्द को समझे तो समझे कौन? क्यूंकि जिम्मेदार ही मौन है। अब तक तो चरखा ही महिलाओं के बुढ़ापे का सहारा बना हुआ है।