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जयपुर 21 अप्रैल 2025। सोशल मीडिया के माध्यम से वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने राजस्थान की विशाल अप्रयुक्त खनिज संपदा पर ध्यान आकर्षित करते हुए राज्य की आर्थिक क्षमता को और अधिक बढ़ाने के लिए औद्योगिक विकास में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया। जीडीपी के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि राजस्थान प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों से क्यों पीछे है, जबकि इन सभी राज्यों की जीडीपी 300 बिलियन डॉलर से अधिक है। यह ऐसे समय में, जब राजस्थान 2030 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। हालिया अनुमानों के अनुसार, 196 बिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ, राजस्थान औद्योगिक विकास के मामले में अपने समकक्ष राज्यों से पीछे है। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में वेदांता के चेयरमैन ने कहा कि राजस्थान की धरती में अपार संपदा है, आॅयल एण्ड गैस, स्टोन, तांबा, चांदी, सोना, जिं़क,पोटाश, रॉक फॉस्फेट ऐसे तत्व है जो राज्य के लिए समृद्धि की नई लहर ला सकते हैं। राज्य में देश के सबसे समृद्ध और व्यापक प्राकृतिक संसाधन भंडार हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम इस प्राकृतिक खजाने का पूरा उपयोग करते हैं तो राजस्थान की जीडीपी और राजस्व आसमान छू सकते हैं। अनगिनत रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं एवं व्यापक समृद्धि आ सकती है। स्पष्ट रूप से जरूरत इस बात की है कि धरती के नीचे छिपे प्राकृतिक खजानों का पूर्ण उपयोग और खनिजों को मूल्यवर्धित उत्पादों में बदलने के लिए हजारों विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित की जाएँ। इसके अलावाए उन्होंने राजस्थान को एक उद्यमी केंद्र के रूप में भी सराहा और लिखा कि भारत के कुछ महान उद्यमी राजस्थान से हैं। उनके व्यावसायिक कौशल ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है। श्री अग्रवाल ने अपने ट्वीट में इस बात पर जोर देते हुए कहा कि, राज्य में रिन्यूएबल एनर्जी और आॅयल एण्ड गैस की भी सर्वाधिक संभावनाएं हैं। संसाधनों और ऊर्जा का यह शक्तिशाली संयोजन राजस्थान को भारत का नंबर एक राज्य बना सकता है। वेदांता समूह, हिन्दुस्तान जिं़क लिमिटेड और केयर्न ऑयल एंड गैस के माध्यम से, इस खनिज संपदा का जिम्मेदारी और सस्टेनेबल तरीके से खनन करने में प्रमुख उद्योग है। राजस्थान में वेदांता के बडे पैमाने पर संचालन ने प्रदेश को जिं़क, चांदी और आॅयल एण्ड गैस उत्पादन का वैश्विक केंद्र बना दिया है। राजस्थान को अपनी कर्मभूमि बताते हुए, श्री अग्रवाल ने दोहराया कि वेदांता इस अद्भुत राज्य के लिए नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए राजस्थान और इसके नेतृत्व के सहयोग के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
जिंक गैल्वनाइजेशन ने भारत के लोटस टेंपल, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, प्रधानमंत्री संग्रहालय, नौसेना भवन, यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर, कतर के लुसैल स्टेडियम और दुबई के बुर्ज खलीफा और ब्लूवाटर आइलैंड जैसे प्रतिष्ठित स्थलों की संरचनात्मक अखंडता को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिंक़ गैल्वनाइजेशन जंग से बचाव कर विरासत की रक्षा करने और भविष्य को मजबूत बनाने के लिए एक लागत प्रभावी, सस्टनेबल समाधान प्रदान करता है विश्व विरासत दिवस 2025 पर, विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत जिं़क उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिं़क लिमिटेड ने देश के बहुमूल्य स्मारकों के लिए अक्सर अनदेखे खतरे, जंग के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है। जंग, एक स्वभाविक लेकिन लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो नमी, ऑक्सीजन, प्रदूषकों और लवणों के कारण होने वाली रासायनिक और विद्युत रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से धातुओं को धीरे धीरे कमजोर करती है। जलवायु परिवर्तन की बढ़ती गति और प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ, जंग प्रमुख विनाशकारी शक्ति के रूप में उभर रही है, जो संरचनात्मक नुकसान को तेज करती है और सदियों की शिल्पकला को नष्ट कर देती है। इससे निपटने के लिए जिं़क सबसे प्रभावी और सस्टेनेबल समाधानों में से एक है। इसके सुरक्षात्मक गुण इसे जंग से बचाव में प्रमुख सहयोगी बनाते हैं। आमतौर पर ताजमहल या चारमीनार जैसी प्रसिद्ध पत्थर की संरचनाओं पर ध्यान आकर्षित करती है, लेकिन इन स्मारकों में और उसके आस-पास मौजूद पुरानी धातु की संरचनाएँ जंग और क्षरण के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं। दिल्ली में अशोक स्तंभ, धातुकर्म उत्कृष्टता का प्राचीन चमत्कार है, जो लगातार तत्वों का सामना कर रहा है फिर भी मजबूत बना हुआ है। लेकिन विरासत स्थलों में अनगिनत अन्य लौह और इस्पात घटक इतने मजबूत नही हैं। औपनिवेशिक काल के लोहे के पुल जैसे कोलकाता का हावड़ा ब्रिज से लेकर विरासत उद्यानों और महलों में सजे हुए द्वार और रेलिंग तक, ये धातु तत्व अनियमित मौसम की स्थिति, नमी, औद्योगिक प्रदूषण और नमक युक्त हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण धीरे धीरे कमजोर हो रहे हैं। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में प्रति वर्ष जंग से होने वाला नुकसान लगभग 5 प्रतिशत है जो कि रोके जा सकने वाले नुकसानों में 100 बिलियन है। यह जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तुलना में काफी अधिक है, जहाँ जिं़क कोटेड स्टील के व्यापक उपयोग ने इस आंकड़े को 1.5 प्रतिशत से भी कम कर दिया है। जब विरासत संरचनाओं की बात आती है, तो नुकसान केवल आर्थिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक भी होता हैं, जो हमारे साझा इतिहास के अमूल्य अध्यायों को मिटा देता हैं। विश्व के कई समकालीन विरासत-प्रेरित स्थल और भविष्य के विरासत जैसे भारत के लोटस टेंपल, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, प्रधानमंत्री संग्रहालय, यशोभूमि, कन्वेंशन संेटर और नौसेना भवन, कतर का लुसैल स्टेडियम और दुबई का बुर्ज खलीफा और ब्लूवाटर आइलैंड ने संरचनात्मक लंबी आयु सुनिश्चित करने के लिए जिंक गैल्वनाइजेशन को अपनाया है। जिंक-आधारित गैल्वनाइजेशन एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाली तकनीक है, जो जंग और संरचनात्मक गिरावट से निपटने के लिए मजबूत और लंबे समय तक चलने वाला समाधान प्रदान करती है। यह सरल, लागत प्रभावी तकनीक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करती है, जो बहाली और संरक्षण में उपयोग की जाने वाली धातु-आधारित सहायक संरचनाओं को 30-40 वर्षो का अतिरिक्त जीवन प्रदान करती है। इस वर्ष के विश्व धरोहर दिवस की थीम,आपदाओं और संघर्षों से खतरे में पड़ी धरोहर के अनुरूप, हिन्दुस्तान जिं़क का संदेश केवल धातु तक ही सीमित नहीं है। यह विरासत संरक्षण और आधुनिक बुनियादी ढांचे दोनों में जंग-रोधी सामग्रियों को एकीकृत करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने का मिशन है। ऐसे भारत का निर्माण करना महत्वपूर्ण है जहाँ हमारे अतीत पर गर्व और भविष्य की तैयारी एकसाथ हो। जिं़क, एक महत्वपूर्ण धातु है, जिसे लंबे समय से स्टील को जंग से बचाने की अपनी बेजोड़ क्षमता के लिए जाना जाता है। समय के साथ खराब होने वाली पारंपरिक कोटिंग्स के विपरीत, जिंक-गैल्वनाइज्ड संरचनाएं कैथोडिक सुरक्षा प्रदान करती हैं, जो प्रभावी रूप से जंग को रोकती हैं और दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित करती हैं। इसके अलावा, गैल्वनाइज्ड स्टील की बहुमुखी प्रतिभा और डिजाइन मजबूत अनुकूलन और कुशल निर्माण की अनुमति देता है, जिससे यह विभिन्न परियोजनाओं के लिए लागत प्रभावी और व्यावहारिक विकल्प बन जाता है। जैसे-जैसे देश वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है, सभी हितधारकों, सरकारी निकायों, संरक्षणवादियों, इंजीनियरों और उद्योगों पर यह जिम्मेदारी है कि हम जो विरासत में मिले हैं, उसकी रक्षा करें। जिंक गैल्वनाइजेशन के साथ, हम न केवल जंग से लड़ते हैं बल्कि हम अपनी विरासत को भी संरक्षित करते हैं।
इंदौर, 16 अप्रैल, 2025: शेरेटन ग्रैंड पैलेस, इंदौर में ग्लोबल ट्रायंफ फाउंडेशन और द बिज़नेस एसेंट द्वारा आयोजित 'वर्ल्ड कॉन्क्लेव...
मुंबई, 17 अप्रैल, 2025: आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की आज हुई बैठक में इक्विटी पूँजी (सीसीपीएस) के...
हिन्दुस्तान जिं़क डिजिटल रूप से सक्षम जिंक फ्रेट बाजार के साथ मेटल लॉजिस्टिक्स में लाया क्रांति कंपनी ने प्रीमियम गुणवत्ता वाले जिंक तक पहुँच को सबके लिए आसान बनाकर ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए शुरू किया स्मार्ट लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म उदयपुर, 15 अप्रैल 2025। भारत की एकमात्र और विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक, हिन्दुस्तान जिं़क लिमिटेड ने डिजिटल-फर्स्ट लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट सिस्टम, जिंक फ्रेट बाजार की शुरूआत के साथ महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह अग्रणी पहल हिन्दुस्तान जिं़क को भारत में नाॅन फैरस मेटल कंपनियों में से एक के रूप में स्थापित करती है, जिसने ग्राहकों को सशक्त बनाने, अनुभव को बढ़ाने और लॉजिस्टिक्स प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इनोवेटिव लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म डिजाइन कर प्रस्तुत किया है। इस प्लेटफॉर्म में लाइव ट्रैकिंग, लॉजिस्टिक्स प्लानर, बिडिंग टूल और संबधित लॉजिस्टिक्स सर्विस पार्टनर्स जैसे फीचर्स है। पूर्व में जिं़क खरीद प्रक्रिया के लिए ग्राहकों को लॉजिस्टिक्स तालमेल और शिपमेंट ट्रैकिंग के लिए कई प्रणालियों के बीच आवागमन की आवश्यकता होती थी, जिससे अक्सर आॅपरेशनल असुविधा होती थीं। यह प्लेटफॉर्म एक सुव्यवस्थित, एंड-टू-एंड डिजिटल समाधान प्रदान करता है जो व्यवसायिक टीमों को आसानी से महत्वपूर्ण मेटल्स की खरीद करने में सक्षम बनाता है। जिं़क गैल्वनाइजेशन, स्टील को जंग से बचाने और इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोटिव, रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स, हाई टेक मैनयूफेक्चरिंग, डिफेन्स और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिंक फ्रेट बाजार उपयोगकर्ता अनुभव पर फोकस के साथ डिजाइन होने से मजबूत उत्पादन योजना की सुविधा देता है और ग्राहकों को सही निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। इसे ग्राहकों की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। लॉन्च के अवसर पर हिन्दुस्तान जिं़क लिमिटेड के सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा कि, “हिन्दुस्तान जिं़क में, हमने हमेशा महत्वपूर्ण मेटल्स की खरीद अनुभव को बढ़ाने के लिए कस्टमर फस्र्ट दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी है। डिजिटलीकरण के एकीकरण के साथ, हम एक सहज, तकनीक-सक्षम अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक निर्णायक कदम उठा रहे हैं। यह प्लेटफार्म खरीद को सरल बनाता है और भविष्य के लिए तैयार आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण के लिए हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। हिन्दुस्तान जिं़क द्वारा प्रस्तुत इस प्लेटफार्म में लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पंजीकृत विश्व स्तरीय उत्पाद स्पेशल हाई-ग्रेड जिं़क, हाई ग्रेड जिं़क, एशिया का पहला कम कार्बन वाला ग्रीन जिं़क इकोजेन, प्राइम वेस्टर्न जिं़क, कंटीन्यूअस गैल्वनाइजिंग ग्रेड जिं़क, स्पेशल हाई ग्रेड जंबो जिं़क, हाई ग्रेड जंबो जिं़क, हिन्दुस्तान जिं़क डाई कास्टिंग एलॉय 3, हिन्दुस्तान जिं़क डाई कास्टिंग एलॉय 5, स्पेशल हाई-ग्रेड लीड आदि शामिल हैं। पूरी तरह से एकीकृत माइन-टू-मेटल उत्पादक के रूप में, हिन्दुस्तान जिं़क सस्टेनेबल और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करता है, जो वैश्विक बाजारों में महत्वपूर्ण मेटल्स की निर्बाध डिलीवरी की गारंटी देता है। हिन्दुस्तान जिं़क विश्व के सबसे बड़े जिं़क उत्पाद पोर्टफोलियो में से एक प्रदान करता है, जो ग्राहक नवाचार पर मजबूत फोकस के साथ 40 से अधिक देशों को सेवा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, कंपनी के पास यूरोप में अपने उत्पादों के निर्यात के लिए आरईएसीएच क्वालिटी सर्टिफिकेशन भी है। वेदांता समूह की कंपनी हिन्दुस्तान जिं़क लिमिटेड विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत जिं़क उत्पादक और तीसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक है। कंपनी भारत में प्राथमिक जिं़क बाजार का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा रखती है। हिन्दुस्तान जिं़क को एसएंडपी ग्लोबल कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट 2024 द्वारा लगातार दूसरे वर्ष मेटल और माइनिंग श्रेणी में विश्व की सबसे सस्टेनेबल कंपनी के रूप में मान्यता दी गई है, जो इसकी परिचालन उत्कृष्टता, नवाचार और अग्रणी ईएसजी प्रथाओं को दर्शाता है। कंपनी ने इकोजेन भी लॉन्च किया, जो एशिया का पहला कम कार्बन ग्रीन जिंक ब्रांड है। रिन्यूएबल एनर्जी के उपयोग से उत्पादित, इकोजेन का कार्बन फुटप्रिंट प्रति टन जिं़क के उत्पादन में 1 टन से भी कम कार्बन के समान है। हिन्दुस्तान जिं़क एक प्रमाणित 2.41 गुना वाटर पाॅजीटिव कंपनी भी है और 2050 तक या उससे पहले नेट जीरो एमिशन्स प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने केंद्रित सामाजिक कल्याण पहलों के माध्यम से 1.9 मिलियन लोगों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव लाने वाली, हिन्दुस्तान जिं़क भारत की शीर्ष 10 सीएसआर कंपनियों में से एक है। एनर्जी ट्राजिंशन मेटल कंपनी के रूप में, हिन्दुस्तान जिं़क एक सस्टनेबल भविष्य के लिए आवश्यक मेटल्स प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।
माइनिंग आॅपरेशन्स में सरफेस पर महिलाओं को नाईट शिफ्ट में शामिल कर हिन्दुस्तान जिं़क ने रचा इतिहास हिन्दुस्तान जिं़क ने 25 प्रतिशत जेण्डर डाइवर्सिटी अनुपात हासिल किया, जो मेटल, माइनिंग और हेवी इंजीनियरिंग उद्योगों में सबसे अधिक कंपनी ने स्मेल्टर्स में नाईट शिफ्ट और बैक शिफ्ट में महिला कर्मचारियों को किया शामिल भारत की एकमात्र और विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिं़क लिमिटेड ने अण्डरग्राउण्ड माइंस के सरफेस पर मिल में महिलाओं को नाईट शिफ्ट में शामिल कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। महिलाएं अब कंपनी की रामपुरा आगुचा माइंस में नाईट शिफ्ट में भी कार्य करेंगी, जो भीलवाड़ा में विश्व की सबसे बड़ी अण्डर ग्राउण्ड माइंस है। इस प्रगतिशील कदम से मिल और माइंस दोनों नियंत्रण कक्षों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक पूरी रात की शिफ्ट में कार्य करने वाली महिला टीम दिखाई देगी, जबकि उत्तराखंड में कंपनी के पंतनगर मेटल प्लांट और चित्तौड़गढ़ में चंदेरिया स्मेल्टिंग कॉम्प्लेक्स में महिलाएं सफलतापूर्वक नाईट शिफ्ट में कार्य कर रही है। साथ ही, अजमेर में कंपनी की कायड़ खदान में खनन कार्यों के लिए नियंत्रण कक्ष में नाईट शिफ्ट में महिलाएं सफलतापूर्वक कार्यरत है। इससे पहले, नियामक मानदंडों के अनुसार महिलाओं को केवल दिन की शिफ्ट में काम करने की अनुमति थी। यह विकास महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों के समान कैरियर के अवसरों तक पहुँचने की अनुमति देता है। यह ऐतिहासिक कदम हिन्दुस्तान जिं़क की मेटल, माइन और हेवी इंजीनियरिंग के पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों को बदलने की दिशा में एक और मील का पत्थर है। कंपनी ने इससे पूर्व भारत की पहली महिला अण्डर ग्राउण्ड माइन मैनेजर की नियुक्ति और देश की पहली महिला अण्डरग्राउण्ड माइन रेस्क्यू टीम की स्थापना कर उद्योग-प्रथम पहल का नेतृत्व किया है। दरीबा स्मेल्टिंग कॉम्प्लेक्स, जावर माइंस और सिंदेसर खुर्द माइन सहित प्रमुख स्थानों पर महिलाएँ सक्रिय रूप से बैक शिफ्ट में योगदान दे रही हैं, जहाँ परिचालन शिफ्ट रात 10 बजे तक चलती है। अपने निरंतर प्रयासों को दर्शाते हुए, हिंदुस्तान जिंक ने 25 प्रतिशत से अधिक का जेण्डर डाइवर्सिटी अनुपात हासिल किया है जो भारत के मेटल, माइन और हेवी इंजीनियरिंग क्षेत्रों में सबसे अधिक है। हिन्दुस्तान जिं़क की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा कि, यह हिन्दुस्तान जिं़क और देश के लिये गर्व का क्षण है। हमारी अण्डर ग्राउण्ड माइंस में महिलाओं को नाइट शिफ्ट में शामिल कर, हम न केवल बाधाओं को तोड़ रहे हैं, बल्कि बुनियादी स्तर पर समावेश के लिए नए उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारी धारणा को दर्शाता है कि सच्ची प्रगति हर व्यक्ति को पूरी तरह से भाग लेने, निडरता से नेतृत्व करने और समान रूप से आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाने में निहित है। हम वास्तव में एक ऐसा कार्यस्थल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहाँ विविधता नवाचार और विकास को बढ़ावा देती है। हिन्दुस्तान जिं़क ने खान सुरक्षा महानिदेशालय के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया है, जिससे महिलाएं भूमिगत परिचालन सहित खदान परिसर में चैबीसों घंटे कार्य कर सकती हैं। हिन्दुस्तान जिं़क में कार्यरत महिलाओं को मजबूत प्रोटोकॉल और कर्मचारी-केंद्रित नीतियों का सहयोग दिया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि महिलाएं अपने करियर के हर चरण में सशक्त हों। प्रगतिशील कार्यस्थल नीतियां, जैसे जीवनसाथी को काम पर रखने ...
• हिन्दुस्तान ज़िंक ने भारत का चांदी उत्पादन 15 गुना बढ़ाया जयपुर ,10 अप्रैल: वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि 23 साल पहले भारत की ग्रोथ का एक नया दौर शुरू हुआ था। ज़िंक जैसे क्रिटिकल मेटल की डिमांड हाई थी, पर प्रोडक्शन बहुत कम। उस समय भारत, ज़िंक इम्पोर्ट करता था, और उस पर 40% की भारी ड्यूटी लगती थी। सौभाग्यवश, 2002 में सरकार ने एक बोल्ड स्टेप लिया, हिन्दुस्तान ज़िंक को प्राइवेटाइज़ किया और वेदांता को मौक़ा दिया। बस एक ही साल में, बिना किसी रिट्रेंचमेंट के, टेक्नोलॉजी और एक्सपर्ट्स की मदद से, प्रॉफिट 113.58% बढ़ गया। आज, मुझे गर्व है यह कहने में, कि ‘हिन्दुस्तान ज़िंक लिमिटेड’ भारत की ही नहीं, संसार की लार्जेस्ट इंटीग्रेटेड ज़िंक प्रोड्यूसर है। भारत में सिल्वर का भी प्रोडक्शन बहुत कम था, पर हमारे इंजीनियर्स और एक्सपर्ट्स ने अनुसंधान कर, सिल्वर का प्रोडक्शन भारत में 15 गुना बढ़ाया। राजस्थान में लाखों लोगों को रोज़गार मिला और 1000 से अधिक एलाइड इंडस्ट्रीज़ खड़ी हो गईं ! आज तक,हिन्दुस्तान ज़िंक ने देश के ख़ज़ाने में लगभग 1.7 लाख करोड़ रूपयों का योगदान दिया है। आर्थिक और सामाजिक समृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण में सुधार हुआ, और राजस्थान जैसा सनशाइन स्टेट और भी चमक उठा ! अब तक का ये सफ़र बहुत ही अमेज़िंक रहा है ! और, ये तो बस शुरुआत है। हिन्दुस्तान ज़िंक लिमिटेड, वेदांता समूह की कंपनी है, विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत ज़िंक उत्पादक और वैश्विक स्तर पर चांदी की तीसरी सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी है। भारत में प्राथमिक ज़िंक बाजार में 75% की प्रमुख हिस्सेदारी के साथ, कंपनी दुनिया भर के 40 से अधिक देशों में अपने उत्पादों की आपूर्ति करती है। अपनी उद्योग-अग्रणी प्रथाओं के लिए पहचाने जाने वाले, हिन्दुस्तान ज़िंक एसएंडपी ग्लोबल कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट 2024 द्वारा लगातार दूसरे वर्ष मेटल और माइनिंग सेक्टर में विश्व की सबसे सस्टेनेबल कंपनी है। यह मान्यता संचालन, नवाचार और पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) मानकों में कंपनी की उत्कृष्टता को दर्शाती है। स्थायी उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कंपनी ने इकोजेन-एशिया का पहला कम कार्बन वाला "ग्रीन" ज़िंक ब्रांड पेश किया है। रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग कर उत्पादित, इकोजेन में प्रति टन ज़िंक में 1 टन से भी कम सीओ 2 के बराबर कार्बन फुटप्रिंट है, जो वैश्विक औसत से लगभग 75% कम है। हिन्दुस्तान एक प्रमाणित 2.41 गुना वाटर पॉजिटिव कंपनी भी है और 2050 या उससे पहले नेट जीरो एमिशन्स प्राप्त करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। इसका सामाजिक प्रभाव भी उतना ही सराहनीय है, जिसने लक्षित सामुदायिक विकास कार्यक्रमों के माध्यम से 1.9 मिलियन लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से लाभान्वित किया है, जिससे इसे भारत की शीर्ष 10 सीएसआर कंपनियों में स्थान मिला है। एक अग्रणी एनर्जी ट्रांसिशन मेटल कंपनी के रूप में, हिन्दुस्तान ब जिंक सस्टेनेबल भविष्य के लिए आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कंपनी कार्यस्थल समावेशन में भी अग्रणी है, जिसने 25% से अधिक का जेंडर विविधता अनुपात प्राप्त किया है - जो भारत के माइन, मेटल और हेवी इंजीनियरिंग उद्योगों में सबसे अधिक है।