विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के मौके पर हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड ने पारिस्थितिकीय बहाली और जैव विविधता संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। कंपनी ने TERI (द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट) के सहयोग से चित्तौड़गढ़ स्थित चंदेरिया लेड-जिंक स्मेल्टर में औद्योगिक बंजर भूमि के 13 हेक्टेयर हिस्से को हरित क्षेत्र में बदल दिया है। इस परियोजना का दूसरा चरण अगस्त 2024 में शुरू किया गया था, जिसमें 7 हेक्टेयर भूमि को पुनर्जीवित कर 15 हजार से अधिक देशी पौधे लगाए गए।
हिन्दुस्तान जिंक ने माइकोराइजा तकनीक की सहायता से जेरोफिक्स-युक्त कठिन भूमि पर वनस्पति उगाई है, जो पौधों की जड़ों और मिट्टी में पाए जाने वाले फफूंद के बीच सहजीवी संबंध को बढ़ावा देती है। पहले चरण में कंपनी ने 6 हेक्टेयर भूमि पर 11,000 से अधिक पौधे लगाए थे।
कंपनी ने IUCN के साथ साझेदारी में सभी ऑपरेशन साइट्स के लिए जैव विविधता प्रबंधन योजनाएं भी तैयार की हैं। इसके तहत देशी पौधों और झाड़ियों जैसे शीशम, खैर, करंज, अश्वगंधा आदि के बीजों का उपयोग करते हुए हाइड्रोसीडिंग तकनीक से हरित पट्टी तैयार की गई है। साथ ही मियावाकी पद्धति से देबारी, दरीबा और चंदेरिया इकाइयों में 2.4 हेक्टेयर क्षेत्र में 32,500 पौधे लगाए गए हैं।
कंपनी ने उदयपुर वन विभाग के साथ मिलकर बागदरा मगरमच्छ संरक्षण रिजर्व के पुनर्जीवन हेतु 5 करोड़ रुपये के निवेश से एमओयू भी साइन किया है। इस योजना का उद्देश्य 400 हेक्टेयर क्षेत्र में मगरमच्छों के लिए समृद्ध प्राकृतिक आवास विकसित करना है।
सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा, “हिन्दुस्तान जिंक औद्योगिक जिम्मेदारी और पर्यावरणीय नेतृत्व के साथ काम कर रही है। भूमि बहाली, जैव विविधता और कार्बन अवशोषण के जरिए कंपनी सतत विकास के वैश्विक लक्ष्यों में योगदान दे रही है।”
कंपनी ने इस वर्ष अपनी इकाइयों में 1.5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। हिन्दुस्तान जिंक देश की पहली मेटल एंड माइनिंग कंपनी है, जिसने 1.5°C वैश्विक तापमान सीमा के अनुरूप वैज्ञानिक लक्ष्य हासिल किए हैं।
हिन्दुस्तान जिंक की यह पहल पर्यावरणीय संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से लड़ाई और सतत विकास के लिए उद्योग जगत में मिसाल बन रही है।