जान से मारने की धमकी का डर, छोटी सी उम्र में दुश्कर्म की पीड़ा, बेखबर परिवार, खाप पंचायत का फरमान और खाकी का समझौता करने का दबाव। एक नाबालिग लड़की पर ऐसा कहर बन के बरपा की आज वह जिन्दगी और मौत से डूंगरपुर के अस्पताल में झूझ रही है। जी हां यह कहानी है खेरवाड़ा थानाक्षेत्र के खाण्डी ओवरी गांव में रहने वाली एक पांचवीं कक्षा में पड़ने वाली लड़की की। जिसका नौ माह पूर्व दसवीं में पड़ने वाले पंकज डामोर ने बलात्कार किया और किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दे डाली। जान जाने के डर से मासूम बालिका ने किसी को कुछ नहीं बताया लेकिन जब असहनीय दर्द उठा तो घरवालों ने उसे निजी होस्पिटल में भर्ती करवाया, जहां सोनोग्राफी में मामले का खुलासा हुआ तो पीडिता के माँ बाप के हाथ पैर फुल गये।
जब मासूम के पिता ने दबाव बनाकर पीड़िता से पूछा तो उसने सबकुछ बताते हुए पंकज डामोर पर दुश्कर्म करने का आरोप लगाया। मामला बड़ा तो गांव के सरपंच और पूर्व सरपंच ने पंचायत लगाकर मासूम का गर्भ गिराने की बात कही। तब सभी उसे खेरवाड़ा के सरकारी हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टर गोयल ने कम उम्र और 6 से ज्यादा का गर्भ ठहरने की बात कहते हुए गर्भपात कराने से मना कर दिया। तभी मासूम नाबालिग ने जान देने की कोशिश की तो पूरा परिवार खेरवाड़ा थाने पंहुचा। तब मासूम के पिता ने खेरवाड़ा थाने रिपोर्ट दी तो थानेदार ने बीट प्रभारी कमल कुमार के पास भेजा, परिजनों का आरोप है कि कमल कुमार ने आपसी में समझौता करने की बात कहते हुए मामले को तीन महीने तक टाल दिया। अब दुश्कर्म पीड़िता के गर्भ ठहरे नौ माह पूरे हो गए। ज्यादा प्रसव पीड़ा होने पर मंगलवार को उसे खेरवाड़ा हाॅस्पिटल से उदयपुर रेफर कर दिया, लेकिन परेशान परिजन उसे उदयपुर से बुधवार को डूंगरपुर के जनरल हाॅस्पिटल ले गए जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई।