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श्रद्धा और भक्ति से गूंजा उदयपुर: श्री लाल जी महाराज का 473वां जन्मोत्सव धूमधाम से संपन्न
उदयपुर। वल्लभ संप्रदाय के अष्टम पीठ के गुरु गोस्वामी श्री लाल जी महाराज का 473वां जन्मोत्सव उदयपुर शहर में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर पीठ से जुड़े सैकड़ों श्रद्धालु उत्साहित नजर आए और सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।

जन्मोत्सव की शुरुआत हरिद्वार से पधारे गोस्वामी श्री कुंज बिहारी लाल जी महाराज के पावन पाठ और भजन-कीर्तन से हुई। महाराज जी ने अमृतवाणी सुनाई, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और भक्ति के महत्व को सरल और भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया। उनके भजनों ने भक्तों के दिलों को छू लिया और पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
लाल जी महाराज का जीवन और आध्यात्मिक सफर
श्री लाल जी महाराज का जन्म पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हुआ था। महज 8 साल की उम्र में उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य दर्शन हुए, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। इसके बाद वे भारत आकर मथुरा में बस गए और 17 वर्षों तक गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना में लीन रहे। उनकी गहरी भक्ति और साधना के कारण उन्हें वल्लभ संप्रदाय के अष्टम पीठ के रूप में मान्यता मिली।

विशेष आयोजन और भाव लंगर
जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में श्री लाल जी युवा संगठन द्वारा भव्य आयोजन किया गया। दिनभर मंदिर में भजन-कीर्तन और सत्संग का सिलसिला चलता रहा। कार्यक्रम के अंत में भाव लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। लंगर में भक्ति के साथ-साथ प्रेम और एकता की झलक भी देखने को मिली।
हर साल उदयपुर में श्री लाल जी महाराज का जन्मोत्सव बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है, जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक भी है।
