पूर्व निदेशक एवं वरिष्ठ इतिहासकार डॉ द्वारका लाल माथुर नहीं रहे !
1 min readउदयपुर 25 अप्रैल | राजस्थान राज्य अभिलेखागार के पूर्व निदेशक एवं वरिष्ठ इतिहासकार डॉ द्वारका लाल माथुर के आकस्मिक निधन पर इतिहास जगत में शोक की लहर दौड़ गयी. सभी इतिहासकारो ने इस दुःख की घडी में लॉक डाउन के चलते परिवार जन को फ़ोन एवं सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी संवेदना व्यक्त की|
वरिष्ठ इतिहासकार प्रोफेसर गिरीश नाथ माथुर ने जानकारी देते हुए बताया की डॉ माथुर राजस्थान अभिलेखागार उदयपुर शाखा के प्रभारी भी रहे | वे राजस्थानी लिपियों एवं फ़ारसी भाषा के ज्ञाता थे |डॉ माथुर ने फ़ारसी के ऐतिहासिक ग्रन्थ अमीरनामा का हिंदी में अनुवाद किया एवं एवं उनके अनेक शोध पूर्ण आलेख विभिन्न स्तरीय शोध पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित है |डॉ माथुर ने राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय शोध संगोष्ठियों में भाग लेकर अपने शोध पत्रों का वाचन किया और कई प्रामाणिक तथ्य उजागर किये |भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ भानु कपिल ने बताया की डॉ माथुर ने ऐतिहासिक पांडुलिपियों की खोज कर कई शोध संस्थानों यथा साहित्य संस्थान ,प्रताप शोध प्रतिष्ठान एवं चोपासनी शोध संस्थान जोधपुर को समृद्ध कर उनकी शोध परियोजनाओं को पूर्ण करने में समन्वयक की भूमिका निभाई जिससे अनेक शोध ग्रंथो का प्रकाशन संभव हो सका और अनेक शोधार्थी लाभान्वित हुए | डॉ माथुर ने अनेक शोधार्थियों को शोध सामग्री उपलब्ध करवा उनके कार्यो को पूर्ण करने में मदद की|उनके निधन पर प्रोफेसर गिरीश नाथ माथुर, डॉ मनोहर सिंह राणावत, डॉ जम्नेश कुमार ओझा, डॉ राजेंद्र नाथ पुरोहित ,डॉ गोविन्द लाल मेनारिया,डॉ मोहब्बत सिंह राठौर,डॉ प्रियदर्शी ओझा,डॉ मनोज भटनागर, डॉ जीवन खरगवाल,डॉ हेमेंद्र चौधरी,डॉ के इस गुप्त,डॉ कैलाश जोशी,जय किशन चौब्बे,इन्दर सिंह राणावत, डॉ एस.एस चौधरी, डॉ श्रीनिवास माहवार,डॉ कुलशेखर व्यास , हरिशंकर पुरोहित एवं शिरीष नाथ माथुर ने गहरा शोक व्यक्त किया और कहा की इतिहास जगत को बहुत बड़ी शती है|