भाजपा बनाम कांग्रेस और गौरव वल्लभ का वज़ूद-भाजपा अहम में तो कांग्रेस वहम में जीत के प्रति आश्वस्त !
1 min readराजस्थान में सोलहवीं विधानसभा को लेकर 25 नवम्बर को मतदान प्रक्रिया सम्पन्न होने के साथ ही कयासों ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है और यह दौर 3 दिसम्बर को मतगणना से पहले तक चलता ही रहेगा। लेकिन उदयपुर शहर विधानसभा में इस बार सारे ही कयास किसी एक करवट बैठते दिखाई नहीं दे रहे हैं, क्यूंकि मैदान में भाजपा और कांग्रेस के साथ – साथ कांग्रेस प्रत्याशी गौरव वल्लभ का अपना वजूद भी विशिष्ट है। वे एक उच्च शिक्षित और राष्ट्र स्तर की राजनीति के रणनीतिकार होने से मतदाता को आकर्षित करते नजर आए हैं। 2018 में उदयपुर शहर का मतदान प्रतिशत 67.06 था, वहीं 2023 में 66.76 रहा। मतलब 0.3 प्रतिशत मतदान कम हुआ। वहीं कांग्रेस बाहुल्य वाले इलाकों में मतदान प्रतिशत भाजपा बहुल इलाकों से काफी ज्यादा रहने को देखते हुए किसकी जीत तय है, इसका पुर्वानुमान लगाना थोड़ा मुश्किल लग रहा है।
25 सालों में पहली बार एकजुट दिखी कांग्रेस :
उदयपुर शहर में काफी सालों से कांग्रेस बिखरी – बिखरी ही रही और यही वजह है कि 1998 में त्रिलोक पुर्बिया के जीतने के बाद 2018 तक नहीं जीत पाई और भाजपा ने हमेशा विधानसभा और उदयपुर नगर निगम में बढ़त बनाए रखी। लेकिन इस बार कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ को मैदान में उतारा, कुछ विरोध पार्टी के अंदर खाने में हुआ परंतु कुछ ही दिनों में अंतर्कलह को खत्म करने में गौरव वल्लभ सफल रहे । कांग्रेस के भीतर सभी गुटों के खत्म होने के साथ ही पार्टी का केन्द्र पोलोग्राउण्ड स्थित प्रो. गौरव वल्लभ का निवास स्थान हो गया। उदयपुरवालों ने पहली बार ही कांग्रेस की ऐसी वाहन रैली देखी, जो चेटक से शुरू होकर हिरणमगरी तक निकली। वहीं मतदान के दौरान 216 ही बूथों पर कांग्रेस के वरिष्ठ से लेकर युवा वर्ग के नेताओं की मौजूदगी भी पहली बार मतदाताओं को दिखाई दी।
गौरव वल्लभ की शैली ने किया आकर्षित :
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अपना पहला विधानसभा चुनाव जमशेदपुर से हारे थे, उनके सामने भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। उस समय भले ही गौरव वल्लभ हार गए लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदार को हराने में भी सफल रहे थे। श्री वल्लभ को उदयपुर शहर से टिकिट मिलते ही उनका पहला बयान आया – 20 सालों से भाजपा के कुशासन का अंत करेंगे, साथ ही सनातन को समझने वाले तमाम भाईपाईयों को डिबेट करने की चुनौती देना भी काफी चर्चाओं में रहा। कांग्रेस भाजपा के घोषणा पत्रों के अलावा गौरव वल्लभ का खुद का घोषणा पत्र और हर साल तारीख के आधार पर उसे पूरा करने का वचन, कहीं न कहीं इस चुनाव में उनके प्रति भरोसा प्राप्त करता दिखाई दिया।
भाजपा की जीत के लिए रणनीति बनाने वाले
ताराचंद ही ‘‘रण’’ में :
उदयपुर शहर से भाजपा प्रत्याशी ताराचंद जैन, तीन बार शहर जिलाध्यक्ष, तीन बार देहात जिलाध्यक्ष, एक बार उप जिला प्रमुख और वर्तमान में उदयपुर नगर निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष जैसे बड़े पदों पर रहे हैं। श्री जैन हमेशा रणनीतिकार रहे हैं और चुनाव प्रभारी रहने के साथ – साथ उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी को हमेशा जीत ही दिलाई है। जब रणनीतिकार खुद मैदान में हो तो रण कितना मजबूत होगा इसे भी सोचना चाहिए।
भाजपा की द्वितीय पंक्ति के दिग्गज प्रथम पंक्ति में दिखे :
उदयपुर भाजपा का गढ़ है, इसे स्वीकार करने में कोई अतिशियोक्ति नहीं होनी चाहिए। बूथ स्तर से लेकर पन्ना प्रमुख तक कार्यकर्ताओं की जम्बों फौज ने हीं पार्टी को यहां से हमेशा विजय दिलाई है। यह सर्वविदित है कि इस बार जो नाम भाजपा में प्रमुखता से लिए जा रहे थे उनको छोड़कर ताराचंद जैन पर पार्टी ने विश्वास जताया। श्री जैन को टिकिट मिलते ही उनके जमाने में खास रहे दिग्गज नेता चुनाव में काफी सक्रिय दिखाई दिए। इनमें पूर्व उप महापौर महेन्द्र सिंह शेखावत, अर्चना शर्मा, सुषमा कुमावत, विजय आहूजा, अनिल सिंघल, राजेश वैष्णव, नीरज अग्निहोत्री, ललित तलेसरा, मयूरध्वज सिंह आदि प्रमुख है। वहीं मुख्य धारा में रहे रविंद्र श्रीमाली, पारस सिंघवी, प्रमोद सामर, अलका मूंदडा, दिनेश भट्ट आदि ऐसे बड़े नाम थे जो दिख तो रहे थे लेकिन वैसे सक्रिय नहीं दिखे, जैसे गुलाबचंद कटारिया के समय रहते थे। वहीं भाजपा पहली बार गुटों में दिखी। दूसरी तरफ नेतृत्वविहीन युवा मोर्चा की निष्क्रियता भी इस बार चौक चौराहों पर चर्चाओं में रही।
महामहिम की मौजूदगी और सक्रियता :
मेवाड़ भाजपा के कद्दावर नेता रहे असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया इस पूरे चुनाव में सक्रिय देखे गए, इसकी शिकायत कांग्रेस प्रत्याशी गौरव वल्लभ ने राष्ट्रपति सहित चुनाव आयोग को भी की। ताराचंद जैन को टिकिट मिलने के बाद रूठों को मनाने पंहुचे और दिवाली स्नेह मिलन के बहाने छह बोर्डो के पार्षदों की आपात बैठक बुलाकर उन्हें एकजुट होकर मैदान में उतरने का आदेश दिया। बिना प्रोटोकाॅल के पूर्व महापौर चंद्रसिंह कोठारी और वर्तमान महापौर जी.एस. टाक के यहां पंहुचे। मीडिया ने जब सवाल किया तो महामहिम ने कहा वह किसी प्रोटोकाॅल को नहीं मानते। वहीं अभी तक महामहिम की मौजूदगी भी चर्चाओं में है।
2018 और 2023 में प्रतिशत घटा लेकिन मतों में बदलाव हुआ :
2018 में उदयपुर शहर का मतदान प्रतिशत 67.06 रहा था, वहीं 2023 में 66.76 रहा। कुल मिलाकर 0.3 प्रतिशत मतदान कम हुआ। पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ. गिरिजा व्यास को 65,484 मत मिले थे, वहीं गुलाबचंद कटारिया को 74,808 मत मिले। 9,324 मतों से गुलाबचंद कटारिया ने जीत हासिल की थी। उस समय निर्दलीय चुनाव लड़े प्रवीण रतलिया करीब 11,000 मत और दलपत सुराणा करीब 4,000 मत लाए थे। उदयपुर के बड़े रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस के अलावा भी प्रो. गौरव वल्लभ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है और जब गिरिजा व्यास को 2018 में 65 हजार से ज्यादा मत मिले तो गौरव वल्लभ उनसे ज्यादा ही मत लाएंगे। हो सकता है प्रवीण रतलिया और दलपत सुराणा को मिले मत भी गौरव के खाते में जाए। वहीं अल्प संख्यक बहुल इलाकों में पिछली बार से ज्यादा मतदान प्रतिशत रहा है, वह कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक है। दूसरी तरफ भाजपा बाहुल्य इलाकों में गौरव वल्लभ को गिरिजा व्यास से ज्यादा वोट मिलने का दावा किया जा रहा है। वहीं जैन बाहुल्य उदयपुर में इस बार इस वोट बैंक का ध्रुवीकरण भी देखा गया है।
सनातन, कन्हैयालाल और विप्र रहा धूरी :
उदयपुर शहर विधानसभा का चुनाव इस बार ‘‘सनातन, कन्हैयालाल और विप्र की धुरी के ही ईर्द – गिर्द रहा। सूची में शामिल दावेदार को टिकिट नहीं मिलने पर उप महापौर पारस सिंघवी ने बड़े जनबल के साथ रैली निकालकर जगन्नाथ स्वामी के दर्शन किए और भाजपा के प्रत्याशी ताराचंद जैन के सनातनी नहीं होने का दावा कर दिया। तभी से चुनाव तक दोनो ही पार्टियों के प्रत्याशी असली सनातनी होने का प्रचार – प्रसार करते रहे। वहीं उदयपुर में आतंकी हमले में हुए कन्हैयालाल टैलर की हत्या को दोनों ही पार्टियों ने चुनावी मुद्दा बनाते हुए भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा वालों ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि आरोपियों को पकड़ने में और सहीं ढंग से पैरवी नहीं करने की वजह से सजा में देरी हो रही है। वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया कि हत्यारे भाजपा के सदस्य रहे और उन्हें छुड़ाने के लिए पार्टी के पदाधिकारियों ने पैरवी की । साथ ही मामला केन्द्र की एजेंसी एनआईए में लंबित हैं। वहीं एक अखबार में ताराचंद जैन द्वारा पूछे गए सवाल पर भड़के गौरव वल्लभ ने कहा कि ताराचंद जैन ने ब्राह्मण समाज का अपमान किया है। इससे काफी असंतोष फैला और विप्र में भाजपा प्रत्याशी चयन को लेकर पिछली बार से ज्यादा बदलाव देखा गया।