नारायण सेवा संस्थान में रोटरी अंतर्राष्ट्रीय के सहयोग से जर्मनी की मशीनें करेंगी काम।
निःशुल्क वितरण से लाखों दिव्यांगजन होंगे लाभान्वित उदयपुर, 12 मई। सड़क दुर्घटनाओं अथवा अन्य हादसों में हाथ-पांव गवा देने वाले दिव्यांगजन को अब पहले से अधिक सुविधाजनक और अत्याधुनिक कृत्रिम अंग त्वरित निःशुल्क उपलब्ध कराए जा सकेंगे। इसके लिए नारायण सेवा संस्थान के लियों का गुड़ा स्थित परिसर में देश की प्रथम निःशुल्क आर्टिफिशियल लिम्बस् फेब्रिकेशन यूनिट (कृत्रिम अंग निर्माण कार्यशाला) स्थापित की गयी है।
यह जानकारी गुरूवार को संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने दी। उन्होंने बताया कि रोटरी क्लब इम्यूरी ड्यूड हिल्स यूएसए और रोटरी क्लब उदयपुर- मेवाड़ के सहयोग से स्थापित इस यूनिट का उद्घाटन 15 मई (रविवार) को प्रातः 10ः30 बजे संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव’, पैरालम्पिक कमेटी ऑफ इण्डिया (च्ब्प्) की चेयरमैन एवं पैरा ऑलम्पियन दीपा मलिक एवं रोटरी अन्तर्राश्ट्रीय पदाधिकारियों के सानिध्य में सम्पन्न होगा। इस यूनिट में ऑटोबोक जर्मनी की मशीनें लगायी गयी हैं। इसमें बनने वाले कृत्रिम अंग अधिक हल्के व सुविधाजनक होंगे।
संस्थान अध्यक्ष ने बताया कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं चिंता का विशय है। इसमें हाथ-पैर खोने वाले ही नही, उनके परिवार भी अत्यंत कश्टदायी ज़िन्दगी जीने को मजबूर हो जाते हैं। आंकड़ों की बात करें तो देश की कुल आबादी का लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा दिव्यांगता का शिकार है, इसमें ज्यादा संख्या कटे हाथ-पैर वालों की है।
रोटरी क्लब ऑफ उदयपुर-मेवाड़ के संरक्षक हंसराज चौधरी ने बताया कि नारायण सेवा संस्थान द्वारा दिव्यांगजन के जीवन को आसान बनाने के पिछले 34 वर्शो से किये जा रहे कार्यों से इम्यूरी ड्यूड हिल्स यूएसए काफी प्रभावित हुआ है। इसमें सहयोग के लिए रोटरी क्लब उदयपुर-मेवाड़ की अनुशंसा को उसने प्राथमिकता के आधार पर स्वीकार किया। इससे संस्थान को देश ही नही विदेशों में भी कृत्रिम अंग लगाने के कार्यों में गति और आसानी होगी। इससे लाखों दिव्यांगों की जीवनचर्या में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। वे पुनः रोजगार से जुड़कर अपने परिवार को तो खुशहाल बना ही सकेंगे, सुखी समाज की रचना का हम सबका स्वप्न भी मूर्तरूप ले सकेगा। इस अवसर पर रोटरी क्लब मेवाड़ के अध्यक्ष आशीश हरकावत, परियोजना प्रभारी रविश कावड़िया, जनसंपर्क अधिकारी विश्णु शर्मा हितैशी, भगवान प्रसाद गौड़ व रोहित तिवारी भी मौजूद थे। संस्थान के प्रोस्थेटिक एवं ऑर्थोटिक यूनिट हेड डॉ. मानस रंजन साहू ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ पैर उपलब्ध कराने का कार्य संस्थान ने 2011 में शुरू किया था। अब तक 28 हजार से ज्यादा दिव्यांगों को आर्टिफिशियल लिम्ब लगाये जा चुके हैं। संस्थान के सहायता शिविरों में आने वाले हजारों हताश, लाचार अंगविहिनों की दुर्दशा पर संस्थान की टीम ने लम्बे समय तक रिसर्च की जिससे बेहतर लिम्ब प्रदान करने के व्यवस्थित एवं तकनीकी प्रकोष्ठ की शुरूआत हो सकी। संस्थान इस क्षेत्र में सेन्ट्रल फेब्रीकेशन यूनिट लगाकर गुणवत्ता और एकरूपता के साथ बहुत ही कम समय में ज्यादा दिव्यांगों को लाभान्वित कर सकेगा। बड़ी संख्या में आ रहे अंग विहिन भाई-बहिनों को अब कृत्रिम अंग लगवाने को लेकर प्रतीक्षा नहीं करनी पडे़गी। इस यूनिट के लगने से आधुनिकता और तकनीक के साथ संस्थान अन्य देशों द्वारा कृत्रिम अंग निर्माण प्रणाली के समकक्ष होगा। गरीब दिव्यांगों को देश में ही अत्याधुनिक प्रोस्थेटिक मुफ्त में मिलने से उनकी प्रगति एवं उनमें संतुश्टि के भाव पैदा होंगे। इस मशीन से प्लास्टर कास्टिंग, प्लास्टर मोडिफिकेशन, थर्मो प्लास्टिक मोल्डींग, प्लास्टिक लेमीनेशन, जैसी क्रियाएं उच्च तकनीक से सम्भव हो सकेगी। मशीन में उच्च गुणवत्ता वाला ऑवन लगा होने से वेक्युम ड्रेपिंग, ऑर्थोटिक अनुप्रयोग, वेक्युम असिस्टेड, लेमिनेशन फाइबर जैसी सुविधाओं से कृत्रिम अंग वर्कशॉप के संचालन को दुगुनी गति देगा।