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7 months agoon
भूमिगत खदान में स्थापित अपनी तरह का पहला प्लांट, खदान की जल सकारात्मकता 5.5 गुना बढ़ी
भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने रामपुरा आगुचा खदान में 40 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले अत्याधुनिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का शुभारंभ किया। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने इस नवीनतम सुविधा का उद्घाटन किया, जो जल प्रबंधन की दक्षता को बढ़ाने, टेलिंग डैम में जल भंडारण को कम करने, संरचनात्मक स्थिरता में सुधार करने और फ्रोथ फ्लोटेशन प्रक्रिया के जरिए उच्च धातु प्राप्ति को सक्षम करने में सहायक होगी।
यह उपलब्धि हिंदुस्तान जिंक की जल प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस प्लांट के जरिए रामपुरा आगुचा खदान की जल सकारात्मकता (वाटर पॉजिटिविटी) 3.2 से बढ़कर 5.5 गुना हो गई है, जबकि शुद्ध जल के उपयोग में 40% की कमी आई है। इससे वार्षिक रूप से 125 करोड़ लीटर पानी की बचत होगी।
उद्घाटन अवसर पर अरुण मिश्रा ने कहा,
“यह प्लांट विश्व में अपनी तरह की पहली सुविधा है, जिसे भूमिगत खदानों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। जल संरक्षण हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, खासकर राजस्थान के दक्षिणी क्षेत्र में, जहां जल संसाधन सीमित हैं। हम प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भरता को कम करने और जल पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।”
उन्होंने आगे कहा,
“हमने अपने लगभग सभी संयंत्रों में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्रणाली लागू की है, लेकिन यह पहली बार है कि हमने इतनी बड़ी क्षमता वाला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भूमिगत खदान में स्थापित किया है। हमारी परियोजना टीम और रामपुरा आगुचा की खनन टीम ने शानदार कार्य किया है, जिससे यह संयंत्र सुचारू रूप से चालू हुआ। प्लांट से निकला पानी उतना ही स्वच्छ है, या उससे भी बेहतर, जितना आमतौर पर पीने के पानी के लिए उपयोग किया जाता है।”
इस अत्याधुनिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना हिंदुस्तान जिंक के सतत खनन (सस्टेनेबल माइनिंग) और परिचालन उत्कृष्टता के दृष्टिकोण को दर्शाती है। यह न केवल शुद्ध जल की खपत को कम करेगा बल्कि टेलिंग डैम स्थिरता को भी मजबूत करेगा और पर्यावरण संरक्षण में नए मानक स्थापित करेगा।
हिंदुस्तान जिंक सिर्फ अपने परिचालन तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण जल संसाधनों को पुनर्जीवित करने के लिए भी कार्य कर रहा है।
हिंदुस्तान जिंक द्वारा उठाया गया यह कदम जल संरक्षण और सतत खनन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल खनन क्षेत्र में जल प्रबंधन को नया आयाम देगा, बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जल उपलब्धता बढ़ाने में भी सहायक होगा।