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सफल प्रतिरोध निति से प्रताप अजय रहे – प्रो.माथुर !

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मेवाड़ इतिहास परिषद , उदयपुर

(प्रताप जयंती पर ऑन लाइन संगोष्ठी आयोजित )

सफल प्रतिरोध निति से प्रताप अजय रहे – प्रो.माथुर !

उदयपुर 25 मई- छापामार युद्ध प्रणाली व मुग़ल सेना की रसद रोकने की सफल प्रतिरोध निति से महाराणा प्रताप मेवाड़ की स्वतंत्रता को बनाये रखने के साथ अजय रहे ।

उक्त विचार इतिहासकार डॉ. गिरीश नाथ माथुर ने मेवाड़ इतिहास परिषद के तत्वावधान में स्वाधीनता व स्वतंत्रता के प्रतीक महाराणा प्रताप की 480 वीं जयंती के अवसर पर लोक डाउन के रहते आयोजित ” मेवाड़ की स्वतंत्रता में प्रताप की प्रतिरोध निति ” विषयक ऑन लाइन संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए ।

मुख्य अथिति पद से बोलते हुए राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ उदयपुर के अध्यक्ष डॉ,, गुणवंत सिंह देवड़ा ने कहा की महाराणा प्रताप ने समाज के सभी वर्गो का सहयोग लेकर मेवाड़ स्वतंत्रता संघर्ष को जन युद्ध में परिवर्तित कर मुगल सेना को छापामार युद्ध से भयभीत करा मेवाड़ से जाने के लिए मजबूर कर दिया था ।

परिषद के महासचिव डॉ.मनोज भटनागर ने “महाराणा प्रताप कालीन मेवाड़ ” विषयक शोध पत्र का वाचन करते हुए प्रताप के आश्रय स्थल ऐतिहासिक धरोहर कमलनाथ ( आवरगढ़ ),दिवेर ,चावंड ,कुम्भलगढ़ की धरोहरों के संरक्षण पर जोर दिया।
संगोष्ठी संयोजक शिरीष नाथ माथुर ने कहा की प्रताप ने मुग़ल आक्रमण के रहते मेवाड़ में कृषि कार्य बंद करवाकर मेवाड़ का व्यापारिक मार्ग बंद होने से मुग़ल अभाव में आ गए व मुगल थानेदार मुजहित खां ,मुगल सेना नायक सुल्तान खां को प्रताप ने मारकर कुम्भलगढ़ पर पुनः अधिकार किया व सुरक्षित स्थल चावंड को नयी राजधानी बनाया।

ड़ॉ. संगीता भटनागर ने ” प्रताप कालीन दुर्गो का सामरिक महत्व” विषयक शोध पत्र का वाचन किया ।

इतिहासकार डॉ .जे.के.ओझा ,डॉ .राजेन्द्र नाथ पुरोहित, वेद्या. सावित्री देवी भटनागर,उत्कर्ष भटनागर ने भी प्रताप के जीवन आदर्शो पर प्रकाश डाला ।

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