February 6, 2025

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पैसों के चक्कर में बाहरी का प्रचार मत करो, शहरी लड़ा तो महादेव की कसम कांग्रेस जीतेगी – जे.पी.निमावत

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कांग्रेस के मंच से उठी आवाज, बाहरी दावेदार बर्दाश्त नहीं !

राजस्थान की सोलहवीं विधान सभा के लिए एक तरफ जहां दोनो ही बड़ी पार्टियों ने अपनी कमर कसते हुए 200 ही विधानसभा सीटों पर जिताऊ उम्मीदवार उतारने के लिए रिसर्च शुरू कर दी है। उसी कड़ी मेें उदयपुर शहर विधानसभा सीट जो चुनाव से पहले ही पूर्व विधायक गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनाने के बाद खाली हो गई है। हमेशा अजेय रही इस सीट पर इस बार भाजपा से जुड़े अन्य दिग्गज कार्यकर्ता अपनी निगाहें गढ़ाए हुए है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस को भी कटारिया के जाने के बाद जीत की आभास हो रहा है। शहर अध्यक्ष फतहसिंह राठौड़ की नियुक्ति के बाद कार्यकर्ताओं की एकजुटता भी इन दिनों दिखाई दे रही हैं। वहीं बाहरी दावेदारों के आने की सुगबुगाहट ने मायुसी ला दी है।

गुरूवार को दैनिक पुकार अखबार में छपा एक आर्टिकल ‘ उदयपुर शहर विधानसभा सीट बनी चरनोट!’ काफी चर्चित रहा। दोनो ही पार्टियों के दावेदारों ने उपर तक इस आर्टिकल के माध्यम से अपनी बात पंहुचाई और यह संदेश दिया कि अगर कोई बाहरी उम्मीदवार उदयपुर शहर से चुनाव लड़ता है तो हार तय समझों। वहीं शुक्रवार को अम्बामाता इलाके में कांग्रेस के ए ब्लॉक की बैठक आयोजित की गई, जिसमें नव निर्वाचित पदाधिकारियों का सम्मान समारोह रखा गया। इस दौरान सभी वक्ता अपनी अपनी बात रखते हुए कांग्रेस को मजबूत करने, राजस्थान में सरकार रिपिट करने और नौ अगस्त को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में आयोजित राहुल गांधी की सभा में ज्यादा से ज्यादा संख्या में पंहुचने का संकल्प दिला रहे थे।

वहीं यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जयप्रकाश निमावत ने अपने उद्बोधन के दौरान जो कुछ कहा उसे सुनकर पहले तो सभी आश्चर्य करते हुए बगले झांकने लगे, लेकिन बाद में सभी ने तालियां बजाकर जेपी निमावत की बात का समर्थन किया। जेपी निमावत ने हिम्मत दिखाते हुए उन सभी दलालों को आगाह किया कि पैसों के लालच में किसी बाहरी को यहां मत लाओ, गौरव वल्लभ और दिनेश खोड़निया को यहां लाने का मतलब किया है। किसी भी शहरी को शहर विधानसभा से चुनाव लड़ाओ महादेव की कसम यह सीट जीतकर दिखाएंगे। आप सभी से हाथ जोड़कर निवेदन करता हुआ कहा कि समर्थन शहर वाले केडिंडेट का करो बाहरी का नहीं तभी तो यह सीट जीत पाएंगे। पार्टी में परिवर्तन हुआ है और इस बार फतहसिंह जी को मौका मिला है, शहर सीट भी हमारी ही होगी बशर्ते उम्मीदवार शहर का होना चाहिए।

आपको बता देकि उदयपुर शहर से दिनेश श्रीमाली, राजीव सुहालका, पंकज शर्मा, अजय पोरवाल, सुरेश श्रीमाली और गोपाल कृष्ण शर्मा के नाम कयासो में लिए जा रहे थे लेकिन डूंगरपुर क्रिकेट ऐसोसिएशन के जिलाध्यक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ और डूंगरपुर के पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़नियां के नाम सामने आने से इन सभी दावेदारों के सिर पर चिंता की लकीरें ला दी है। कुछ ऐसे कार्यकर्ता है जो इन दोनों को इनके रसूख और पैसों के बुते पर उदयपुर शहर में प्रमोट करने पर उतारू है वहीं सालों से पार्टी और शहर के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाले है दिग्गजों को तवज्जों नहीं दे रहे है।

ब्राह्मण उम्मीदवार पार्टी के पास शहर में ही काफी है और अनुभवी भी है। दिनेश श्रीमाली पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं और उनकी तैयारी भी पूरी हैं। वहीं पंकज शर्मा सालों से मीडिया सेल सम्भाल रहे है और उनकी पकड़ शहर में काफी अच्छी है। गोपाल कृष्ण शर्मा को चार दशक राजनीति में हो गए है पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर गिरिजा व्यास के भाई होने की वजह से फायदा भी काफी मिला है।

सुरेश श्रीमाली भी गुट विशेष से आते है और उपर तक पकड़ भी है। वहीं अगर ओबीसी कोटे से पार्टी देती है तो राजीव सुहालका सबसे बड़ा और मजबूत नाम है। जिन्होंने सुखाड़िया युनिवर्सिटी को एनएसयुआई के बैनर से काफी अध्यक्ष दिए है और पूरे शहर में उनकी पकड़ भी मजबूत है। वहीं पहली बार पार्टी अगर जैन उम्मीदवार देखती है तो अजय पोरवाल का नाम सबसे पहला आता है निगम में सहवृत पार्षद की भुमिका निभा रहे पोरवाल जैन समाज के कई संगठनों में उचें पदों पर आसीन्न है साथ ही बड़ा बाजार व्यापार मण्डल और चैम्बर ऑफ कामर्स के मंत्री भी है।

अजय पोरवाल निगम में हुए 272 भुखण्डों के घोटालों को खोलकर न सिर्फ सुर्खियों मंे आए बल्कि जनता के बीच में एक ईमानदार दबंग नेता के रूप में पहचान भी बनाई है। शहर के अलग अलग वार्डों से चुनाव लड़ने का बड़ा अनुभव भी पोरवाल के पास ही है। फिर गौरव वल्लभ या दिनेश खोड़निया को यहां से लड़वाने की सोचना भी बेमानी है जब पार्टी के पास इतने काबिल उम्मीदवार है। वहीं इन दोनो नेताओं को भी यही सोचना चाहिए कि वह कम से कम यहां के कार्यकर्ताओं के सपनों की हत्या नहीं करे। उन्हें लड़ना ही है तो कहीं और अपनी जमीन तलाशें। यही भाव जेपी निमावत के थे जो उन्होंने पूरी हिम्मत दिखाते हुए ए ब्लॉक के कार्यक्रम में जाहिर कर दिए।