सांसो को मिली बडी आस: हिन्दुस्तान जिंक के दरीबा प्लांट में 500 सिलेण्डर प्रतिदन ऑक्सीजन का बाॅटलिंग प्लांट तैयार
1 min readजल्द ही 1200 सिलेण्डर क्षमता का दूसरा बाॅटलिंग प्लांट भी होगा शुरू
दरीबा स्मेल्टर के इंजीनियरों ने 5 दिन लगातार कार्य कर तैयार किया बाॅटलिंग प्लांट
महामारी में प्रशासन के साथ सहयोग और रिकार्ड समय में बाॅटलिंग प्लांट शुरू करने पर हिन्दुस्तान जिंक की टीम को बधाई- जिला कलक्टर, अरविन्द पोसवाल
हिन्दुस्तान जिंक की पहल से उदयपुर संभाग सहित जोधपुर के चिकित्सालयों में भी पूरी होगी ऑक्सीजन की कमी
जिम्मेदार उद्योग के रूप में हिन्दुस्तान जिंक ने सदैव उत्पादन से पहले समुदाय के उत्थान और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है, कोविड 19 जैसी महामारी में कंपनी सरकार और प्रशासन के साथ मिल कर हर संभव सहायता हेतु प्रयासरत है। हिन्दुस्तान जिंक के राजपुरा दरीबा संयंत्र द्वारा उदयपुर के चिकित्सालयों को लिक्विड ऑक्सीजन की पूर्ति के बाद अब इस संयंत्र से 500 सिलेण्डर ऑक्सीजन प्रतिदिन उपलब्ध होगें। महामारी के समय ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिये यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा इस उपलब्धि के साथ ही जल्द ही 1200 ऑक्सीजन सिलेण्डर प्रतिदिन के उत्पादन का कार्य भी प्रगति पर है जिसके बाद संभवतया संभाग में कोविड 19 के रोगियों को ऑक्सीजन की कमी नही होगी। दरीबा स्थित ऑक्सीजन प्लांट से अब तक 101 टन लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा चूकि है।
इस उपलब्धि पर राजसमंद जिला कलक्टर अरविन्द पोसवाल ने हिंदुस्तान जिंक की टीम को बधाई देते हुए कहा कि ‘‘मैं, राजस्थान सरकार की ओर से, रिकॉर्ड समय में दरीबा में 500 सिलिंडर बॉटलिंग प्लांट शुरू करने के लिए हिन्दुस्तान जिंक की सराहना करता हूं। उन्होंने कहा कि कोविड 19 संकट के दौरान मानवता की मदद के लिए आगे आकर सहयोग के लिये हिन्दुस्तान जिंक प्रशासन का आभारी हूं। उम्मीद और अनुरोध करता हूं कि वे कोविड 19 महामारी से राहत एवं बचाव के लिये सहयोग जारी रखेंगे।
इस अवसर पर राजपुरा दरीबा स्मेल्टर की टीम को बधाई देते हुए हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरूण मिश्रा ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए, हिंदुस्तान जिंक ने चिकित्सालयों में उपयोग हेतु उपलब्ध ऑक्सीजन को सीधे परिवर्तित करने के लिए ऑक्सीजन बॉटलिंग प्लांट की स्थापना कर सरकार की सहायता के लिए हमारे प्रयासों को गति दी है। हमने पहले सरकार को क्रायोजेनिक टैंकरों के माध्यम से 150 टन लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए आॅक्सीजन प्लांट में संशोधन किया था। हम लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए है और स्थानीय प्रशासन केे साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है। मुझे अपनी टीम पर गर्व है जिन्होंने अनवरत बिना थके और बिना रूके इसे संभव कर दिखाया।
वर्तमान में पूरी तरह समुदाय के लिये समर्पित है संयंत्र
हिन्दुस्तान जिंक के राजपुरा दरीबा स्थित लेड प्लांट की ऑक्सीजन यूनिट वर्तमान में पूरी तरह समुदाय को समर्पित है जहां से राज्य के विभिन्न चिकित्सालयों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। राजपुरा दरीबा काॅम्प्लेक्स के डायरेक्टर संजय खटोड़ ने बताया कि प्रतिदिन 500 सिलेंडर ऑक्सीजन जिला प्रशासन के दिशा निर्देश से चिकित्सालयों में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस कार्य को और बेहतर एवं सुचारू रूप से करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। साही राम महा प्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र की सतत निगरानी में इसका संचालन किया जा रहा है।
दिन रात 5 दिनो तक कार्य कर तैयार किया बाॅटलिंग प्लांट
कोविड रोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिये दरीबा संयंत्र के अधिकारियों और इंजीनियरों की टीम ने प्रतिदिन 16 घंटे से अधिक कार्य कर 5 दिनों में आवश्यक तैयारी और परिवर्तन से 500 सिलेण्डर का ऑक्सीजन बाॅटलिंग प्लांट तैयार कर लिया। लेड प्लांट के हेड राजेन्द्र अग्रवाल के निर्देशन में टीम ने अपनी पूरी मेहनत के साथ इसे संभंव कर दिखाया।
पूर्व में दरीबा प्लांट को संशोधान करने और आपातकालीन आवश्यकता के रूप में टैंकरों को लोड करने के लिए समायोजित किया गया और क्रायोजेनिक टैंकरों के माध्यम से सरकार को तरल ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई। इसके अलावा पीईएसओ और ड्रग कंट्रोलर जयपुर से अनुमोदन प्राप्त किया गया था, इसके बाद सरकार ने हमारे गैस और तरल ऑक्सीजन को नमूना संग्रह के माध्यम से चिकित्सा उपयोग के लिए उपयुक्त और सुरक्षित माना और अनुमोदित एजेंसियों के माध्यम से परीक्षण किया। इसे बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों और ओईएम परामर्श सहित बहुत सारे प्रयास किए गए। टीम ने गैस ऑक्सीजन कंप्रेसर के माध्यम से उच्च दबाव के लिए उपलब्ध गैस ऑक्सीजन को परिवर्तित करने और अस्पतालों में उपयोग के लिए सिलेंडर को भरने के लिए बॉटलिंग प्लांट स्थापित करने में सफलता हांसिल की। टीम को निर्देशन और सहयोग में प्रशासनिक अधिकारियों जिला कलक्टर राजसमंद अरविंद पोसवाल, आबकारी आयुक्त जोगाराम, राजपुरा दरीबा के निदेशक संजय खटोड़ सहित सभी का अनुकरणीय योगदान रहा।