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गौ नन्दी कृपा कथा महोत्सव कल से

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गौ नन्दी कृपा कथा महोत्सव कल से, 5100 कलशों के साथ निकलेगी भव्य शोभायात्रा

शहर के टॉउन हॉल में कथा दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक होगी, कथा के लिए 85 फीट चौड़े और 300 फीट लंबे पांडाल बनकर तैयार

उदयपुर | शहर के टॉउन हॉल में 23 फरवरी से 29 फरवरी तक गौ भैरव उपासक संत स्वामी गोपालानंद सरस्वती (जगदीश गोपाल महाराज) की गौ कृपा कथा होगी। कथा दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक होगी। कार्यक्रम की तैयारी के तहत 85 फीट चौड़े और 300 फीट लंबे पांडाल में कथावाचक संत के लिए मंच बन कर तैयार हो गया है। रविवार को सुबह 11:30 बजे शोभायात्रा निकलेंगी जाएगी। जो धान मंडी स्थित हनुमान मंदिर से शुरु होकर बापू बाजार होते हुए टॉउन हॉल पहुंचेगी। शोभायात्रा में हाथी और घोड़े,ऊंट, संत मंडली और किर्तन मंडली और 5100 कलशों की कलश यात्रा निकाली जाएगी।
मार्गदर्शन मंडल में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास जनप्रतिनिधियों के निर्देशन में कार्यक्रम की तैयारियां शुरू हो चुकी है। इसे लेकर तैयारियां के तहत संरक्षक दिनेश भट्ट, अध्यक्ष बंशी लाल कुम्हार, कोषाध्यक्ष संपत माहेश्वरी, देवेंद्र साहू, शंकर जाट आदि सहित कई सदस्यों को व्यवस्था की जिम्मेदारियां दी गई।
संत स्वामी गोपालानंद सरस्वती ने प्रेस वार्ता में बताया कि जिस पर गौ माता की कृपा हो जाए, उसका पूरा जीवन बदल जाता है। संसार में गो माता का आशीर्वाद सबसे बड़ा है। गोमाता सम्पूर्ण सृष्टी को पोषक है एवं विष की शोषक है। गो माता पंचगव्य की दाता है। पंचगव्य के सेवन से असाध्य बीमारी भी जड़ से खत्म हो जाती है। गौमूत्र के सेवन से 174 तरह की बीमारीया खत्म हो जाती है। प्रतिदिन प्रात गोमूत्र मध्यान्ह मे दही-छाछ का सेवन करने से व्यक्ती निरोगी रहता है। वहीं गाे कृपा कथा के दाैरान गोमाता के आध्यात्मिक, सामाजिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक पक्ष पर विस्तृत व्याख्या होगी। स्वस्थ एवं आनन्दमयी जीवन के लिए गोमाता हमारे लिए क्यों उपयोगी है यह जानकारी भी दी जाएगी। गाे संरक्षण का संकल्प भी दिलाया जाएगा।

गोरक्षा के लिए 31 वर्ष की पदयात्रा पर निकले है संत
नीलेश भंडारी ने बताया कि गो रक्षा के लिए 31 वर्ष की पदयात्रा पर निकले गाे संत स्वामी गाेपालानंद सरस्वती काे 8 वर्ष पूर्ण हाे चुके हैं। इन 8 वर्षाें में उन्होंने 62500 हजार किलाेमीटर की पदयात्रा कर राजस्थान के 13500 हजार से अधिक गांवाें में गाे संरक्षण का संदेश पहुंचाया। ये यात्रा 4 दिसंबर 2012 काे हल्दी घाटी से प्रारंभ हुई और पूरे देश में भ्रमण करने के बाद 3 दिसंबर 2043 काे वापस हल्दीघाटी पहुंचकर संपन्न हाेगी। रास्ते में जाे भी भेंट राशि देते हैं वे उसकाे ग्रहण करने की बजाय स्थानीय गोशालाओं में ही देने का आह्वान करते हैं।

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