डॉ. एस.के. लुहाड़िया श्रीलंका में चेस्ट विशेषज्ञों के राष्ट्रीय सम्मेलन में अतिथि व्याख्यान हेतु आमंत्रित
1 min read
– गीतांजलि अस्पताल, उदयपुर के प्रोफेसर एमिरेटस डॉ. एस.के. लुहाड़िया को मिला अंतरराष्ट्रीय मंच
– भारत से केवल दो चिकित्सकों को मिला व्याख्यान देने का अवसर
कोलंबो (श्रीलंका), फरवरी 2025। श्रीलंका में आयोजित चेस्ट विशेषज्ञों के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन में गीतांजलि अस्पताल, उदयपुर के प्रोफेसर एमिरेटस डॉ. एस.के. लुहाड़िया को अतिथि व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया गया। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में भारत से केवल दो चिकित्सकों को व्याख्यान देने का अवसर मिला, जिनमें से एक डॉ. लुहाड़िया थे।
एन.टी.एम. रोग पर महत्वपूर्ण जानकारी
अपने व्याख्यान में डॉ. लुहाड़िया ने एनॉन-ट्यूबरक्युलस माइकोबैक्टीरिया (एन.टी.एम.) रोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह रोग टी.बी. से मिलता-जुलता है, लेकिन इसके निदान और उपचार की प्रक्रिया भिन्न होती है। इस बीमारी का इलाज कम से कम एक वर्ष तक किया जाना चाहिए ताकि संक्रमण को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।
ब्रांकीयेक्टेसीस के उपचार पर चर्चा
अपने दूसरे व्याख्यान में ब्रांकीयेक्टेसीस नामक बीमारी के उपचार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस बीमारी में बार-बार और लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। अतः, एंटीबायोटिक्स का उपयोग गाइडलाइन्स के अनुसार, बीमारी की तीव्रता और बैक्टीरिया के कल्चर रिपोर्ट के आधार पर किया जाना चाहिए। इससे अनावश्यक एंटीबायोटिक उपयोग को रोका जा सकता है और उपचार अधिक प्रभावी हो सकता है।
डॉ. लुहाड़िया के व्याख्यान को चिकित्सा जगत में सराहा गया और उनकी विशेषज्ञता ने सम्मेलन में उपस्थित चिकित्सकों को नई दिशा प्रदान की। उनके योगदान से भारतीय चिकित्सा समुदाय को वैश्विक मंच पर पहचान मिली है।