उदयपुर. राजस्थानी व हिंदी साहित्य के जाने-माने लेखक व व्यंग्यकार हरमन चौहान का मंगलवार को हृदयगति रुकने से निधन हो गया। चौहान तेज तर्रार लेखनी के धनी थे और पिछले कई दशकों से लेखन कार्य में व्यस्त थे। वे वर्ष 1973 से 1985 तक मुंबई दूरदर्शन समाचार विभाग में कार्यरत रहे। वर्ष 1980 से हिंदुस्तान जिंक में राजभाषा अधिकारी के पद पर विशाखापत्तनम, दरीबा माइंस व जावर माइंस में सेवाएं दी और वर्ष 2000 में स्वेछिक सेवानिवृति ली। इसके बाद वे निरंतर लेखन कार्य में व्यस्त रहे। उनके पूत के पांव, हंसा चुगे कंकड़, उसके इंतजार में, सच बोले कौआ काटे, ठावा लोग, ठावी बातां, ओय धन आदि कई हिंदी व राजस्थानी की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वे आचार्य निरंजन नाथ सम्मान, राजभाषाश्री, राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान, शिवचन्द भरतिया पुरस्कार, व्यंग्य मार्तंडेय सम्मान और कन्हैया लाल धींग पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।