उदयपुर विकास प्राधिकरण के साधारण सभा की आज मैराथन बैठक आयोजित हुई। यूडीए अध्यक्ष और संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में...
रिपोर्ट – फैजान ए मोइन केंद्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए कौशल विकास (स्किल डवलपमेंट) के कार्यक्रम की शुरूआत होने जा रही है। प्रतिवर्ष विद्यार्थियों...
उदयपुर के देवाली क्षेत्र के नीमच खेड़ा में एक बेल करीब 15 फिट गहरे नाले में गिर गया। राह चलते लोगो की नजर जब इस पर...
रिपोर्ट- जय प्रकाश मेघवालवल्लभनगर।लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद बुधवार को वल्लभनगर विधायक उदय लाल डांगी चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद व भाजपा...
The significance of menstrual hygiene awareness extends far beyond individual well-being and it stands as a cornerstone of public health and gender parity. By fostering conversations,...
हिन्दुस्तान जिंक द्वारा जावर माइंस में एसजीएफ के तहत कर्मचारी विकास हेतु दत्तोपंत ठेंगड़ी नेशनल बोर्ड फॉर वर्कर्स एजुकेशन एंड डेवलपमेंट द्वारा मॉड्यूलर प्रशिक्षण सत्र आयोजित...
दूग्ध उत्पादन में पहचान बना रहा ‘गौयम‘ छोटे-छोटे कदमों से शुरू हुआ सफर मेहनत और दृढ़निश्चय से सफलता की मिसाल बन सकता है इस का उदाहरण है महिलाओं के नेतृत्व वाली डेयरी, घाटावाली माताजी किसान उत्पादक कंपनी जिसने ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल किया। यह संगठन के 2022-23 में 54 लाख रुपये के राजस्व से दो गुना वृद्धि दर्शाता है, जो इसके संचालन के दो वर्षों के भीतर है। परंपरागत रूप से बिछड़ी, देबारी के किसान मुख्य रूप से पशुपालन करते थे और डेयरी को आय का विश्वसनीय स्रोत मानते थे। मुख्य रूप से नकदी-संचालित डेयरी उद्योग के रूप में किसान स्थानीय डेयरी संघों को दूध की आपूर्ति करते थे। हिन्दुस्तान जिंक की समाधान परियोजना के अंतर्गत संचालित घाटावाली माताजी किसान उत्पादक कंपनी किसानो के तृत्व वाली डेयरी माइक्रो-एंटरप्राइज है जिसे वित्त वर्ष 2022-2023 में उदयपुर जिले के देबारी के बिछड़ी गाँव में स्थापित किया गया था। माइक्रो एंटरप्राइज यूनिट अपने सदस्य आपूर्तिकर्ताओं के हितों की रक्षा करता है, उन्हें वर्ष भर बाजार से जोड़ने, समय पर भुगतान एवं स्थायी आय सुनिश्चित करता है। एफपीओ अपने शेयरधारकों से दूध एकत्र करता है और इसे उदयपुर शहर में गौयम ब्रांड से स्वच्छ दूध और विशिष्ट डेयरी-आधारित उत्पादों को आमजन तक पहुंचा रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 कंपनी के लिए बड़े मील के पत्थर का रहा है, इसने चालू वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपये का बिक्री कारोबार हासिल किया है। यह संगठन के 2022-23 में अपने संचालन के दो वर्षों के भीतर 56 लाख रुपये के राजस्व से दो गुना महत्वपूर्ण वृद्धि दर्शाता है। मात्र 10 लीटर प्रतिदिन से शुरू कर 800 लीटर प्रतिदिन दूध तक कंपनी ने इस वर्ष 2.15 लाख लीटर दूध खरीदा है और 2.12 लाख लीटर ताजा दूध बेचा है और शेष का उपयोग प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए किया गया है। वर्तमान में, कंपनी ताजा दूध, क्रीम आधारित घी, बिलोना घी, दही, छाछ, पनीर, मावा, खोया आदि जैसे डेयरी उत्पाद भी बेचती है। अब किसानों को उनके दूध का भुगतान 10 दिनों के भीतर सीधे व्यक्तिगत सदस्य के बैंक खाते में प्राप्त होता है। सर्वोत्तम गुणवत्ता सुनिश्चित करने और बनाए रखने के लिए प्रयोगशाला में विभिन्न परीक्षण भी किए जा रहे हैं जैसे मिलावट परीक्षण, यूरिया, के लिए सीएमटी और टिट्रेटेबल अम्लता। घाटावली माताजी किसान उत्पादक कंपनी की डेयरी ने दो वर्षाे के संचालन के भीतर ही इसने पंजीकृत किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका उदाहरण है घाटावाली माताजी एफपीाओ के निदेशक मंडल की सदस्यों में से एक श्यामूबाई जो कि बिछडी गांव की निवासी है कृषि और पशुधन पालन के तरीकों पर नियमित बैठकों और जानकारी साझा करने के माध्यम से, वह अब अपने निर्णय लेने में सशक्त और आश्वस्त महसूस करती है। रोजाना दूध के अलावा, श्यामू बाई घरेलू उपभोग के लिए घी, छाछ, पनीर और दही भी बनाती हैं, जिससे उनकी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं। दूध बेचने से होने वाली आय का उपयोग मुख्य रूप से घरेलू खर्चों, अपने मवेशियों के लिए चारा खरीदने और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए किया जाता है। श्यामू बाई डांगी का कहना है की वह 2 साल से घाटावाली माताजी एफ पी ओ से जुडी हुई हे एवं डेयरी पर दूध बेचती हे जिसका समय पर भुगतान तो मिला हे जिसके साथ साथ उनके घाटावाली माताजी एफ पी ओ से उन्हें डिविडेंट भी मिला है वे कृषि सेवा केंद्र से गायो के लिए पशु आहार भी खरीदते हैं और अपनी गायों की नस्ल में सुधार करने के लिए समाधान परियोजना अंतर्गत संचालित कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं का उपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अच्छी नस्ल की बछडिया पैदा होते हैं जिससे नस्ल सुधर हुआ हे, साथ ही समाधान परियोजना से संचालित पशु शिविर से भी सहयोग लेते हे जिससे उनके पशुओ का स्वास्थ अच्छा रहता हे एवं इनका पशुओ पर दवाईयो के खर्च में भी बचत होती हे । हिन्दुस्तान ंजंक द्वारा बायफ के सहयोग से संचालित समाधान परियोजना वर्ष 2016 से संचालित है जिससे 30 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे है।
पिटारा प्रोजेक्ट की वीडियो: https://www.youtube.com/watch?v=AoKfIojzrjE&t 22 मई, 2024, नई दिल्ली: एएसईआर 2022 रिपोर्ट के अनुसार सरकारी और निजी विद्यालयों के कक्षा 3 के उन छात्रों का...
बिजली गुल,गर्मी फूल रिपोर्ट- जय प्रकाश मेघवालवल्लभनगर।उपखंड क्षेत्र सहित आसपास के गांवो में भीषण गर्मी के दौरान विद्युत विभाग भी अपनी मनमानी बरपा रहा है एक...
खटीक समाज राष्ट्रीय संगठन के बैनर तले मंगलवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष आकाश बावड़ी के नेतृत्व में जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर महा कालेश्वर मन्दिर ट्रस्ट की मनमानी को...