Connect with us

Uncategorized

“फील्ड क्लब चुनाव: सचिव पद की जंग हुई गर्म, रणनीति में सियासी तड़का – कौन मारेगा बाज़ी?”

Published

on

मनु राव ।

  • अब राजनीति की तर्ज पर खेला जा रहा फील्ड क्लब का चुनाव! 23 मार्च को मतदान, नतीजों पर टिकी बड़ी हस्तियों की नजर

    उदयपुर के हाई-प्रोफाइल फील्ड क्लब चुनाव अब सिर्फ एक संगठन का चुनाव नहीं, बल्कि सियासी जंग बन चुका है! शहर के रसूखदारों और ताकतवर बिजनेस लॉबी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। इस बार सचिव पद की दौड़ में निवर्तमान सचिव सहित तीन उम्मीदवारों ने ताल ठोक दी है और माहौल पूरी तरह से गरम हो चुका है।
  • चुनावी दंगल की तस्वीर:
    चुनाव अधिकारी बी.आर. भाटी के मुताबिक, नामांकन वापसी के बाद अब मैदान में कड़े मुकाबले की स्थिति बन गई है। उम्मीदवारों ने प्रचार अभियान को युद्ध स्तर पर तेज कर दिया है।
  • सचिव पद के लिए: बलविंदर सिंह होडा, मनीष नलवाया और उमेश मनवानी में कांटे की टक्कर
  • उपाध्यक्ष पद के लिए: भूपेंद्र श्रीमाली और सुनील मोगरा आमने-सामने
  • कोषाध्यक्ष पद के लिए: अब्बास अली, गौरव सिंघवी और ललित चोर्डिया का मुकाबला
  • कार्यकारी सदस्य पद के लिए: 10 उम्मीदवार मैदान में, 7 को चुनना अनिवार्य
  • वोटिंग पैटर्न और बड़ा दांव:
    23 मार्च को सुबह 9 से शाम 5 बजे तक मतदान होगा, और शाम 6 बजे से मतगणना। हर मतदाता को 10 वोट डालने होंगे, जिसमें उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष और 7 कार्यकारी सदस्य शामिल हैं। यदि मतदाता 7 कार्यकारी सदस्य नहीं चुनता, तो वोट निरस्त हो जाएगा।
  • अब चुनाव में सियासी तड़का क्यों?
    फील्ड क्लब महज़ एक क्लब नहीं, बल्कि उदयपुर के रसूखदारों, कारोबारी दिग्गजों और राजनीतिक समीकरणों का केंद्र है। इस चुनाव का असर शहर की लॉबी पॉलिटिक्स और प्रशासनिक कनेक्शन पर भी पड़ सकता है। यही वजह है कि उम्मीदवारों ने प्रचार को पूरी तरह से राजनीतिक अंदाज में बदल दिया है।
  • डिजिटल युग का चुनाव!
    उम्मीदवारों ने पंपलेट, सोशल मीडिया कैंपेन, निजी डिनर मीटिंग्स, गेट-टु-गेदर और घर-घर संपर्क जैसे तरीकों से अपनी ताकत झोंक दी है। कुछ प्रत्याशियों ने तो महीनों पहले ही जनसंपर्क शुरू कर दिया था ताकि मतदाताओं के दिमाग़ में अपनी छवि मजबूत कर सकें।
  • क्या इस बार सत्ता बदलेगी या पुरानी व्यवस्था कायम रहेगी?
    यह चुनाव सिर्फ पदों की नहीं, बल्कि गुटबाजी, लॉबी पॉलिटिक्स और प्रभाव की परीक्षा है। क्या मतदाता बदलाव चाहते हैं, या फिर वही पुराने चेहरे क्लब की कमान संभालेंगे?

अब सारा खेल 23 मार्च को वोटिंग और नतीजों पर टिका है! राजनीति, रणनीति और जोरदार प्रचार के बीच देखना दिलचस्प होगा कि कौन मारेगा बाज़ी!

Continue Reading