ज़िंक का ‘‘कोई बच्चा रहें ना भूखां‘‘ अभियान साबित हो रहा वरदान !
1 min read17 हजार से अधिक कुपोषित और अतिकुपोषित तक पहुंचाया पोषण
कोविड 19 महामारी से लड़ने के लिए वैसे तो हर व्यक्ति ने अपनी ओर से हर संभव
मदद के लिए कोराना वारियर बन कर एकदूसरें की तरफ मदद के लिए हाथ बढ़ाएं
लेकिन देश के भविष्य कहें जाने वाले नैनिहालों के लिए वेदांता हिंदुस्तान ज़िंक
के ‘कोई बच्चा रहें ना भूखा‘ अभियान वरदान साबित हो रहा है। महामारी की विषम
परिस्थिति में खुशी परियोजना से जुडे़ कोरोना वारियर्स द्वारा आईसीडीएस विभाग
के साथ मिलकर खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में पोषण की कमी से जुझं रहे
आंगनवाडी के बच्चों और माताओं तक आहार पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है।
सामान्य दिनों मे आंगनवाडी केन्द्रों में आने वाले बच्चों शालापूर्व शिक्षा, उनके
स्वास्थ्य और पोषण के लिए कार्य करने के साथ साथ स्वास्थ्य सर्वे से बच्चों की
जानकारी जुटाने के कारण उन बच्चों तक पहुंच संभव हो सकी जो कि
अतिकुपोषित और कुपोषित हैं। इस संकट के समय में उन तक पहुंच संभव हो कर
उन्हें आहार उपलब्ध कराया जा रहा है जो कि वरदान साबित हो रहा है। इस
अभियान की खास बात यह भी है कि इसमें क्षेत्र के दानदाता भी बढ़चढ़ कर हिस्सा
ले रहे है।
हिंदुस्तान जिंक का यह अभियान खासतौर पर कमजोर वर्ग के उन लोगो के बच्चों
तक मददगार साबित हुआ है जो कि एक वक्त के भोजन के लिए भी संघर्षरत हैं।
खुशी आंगनवाडी कार्यक्रम के माध्यम से हिंदुस्तान जिंक ने सरकार के समेकित
बाल विकास सेवाओं के साथ जुड़कर राजस्थान की 3089 आंगनवाडियों में 0 से 6
वर्ष की आयु के बच्चों के स्वास्थ्य एवं नियमित स्वास्थ्य सुधार पर ध्यान केंद्रित कर
रहा है। कोविड 19 महामारी के चुनौतिपूर्ण समय में हिंदुस्तान ज़िंक द्वारा यह
अभियान अजमेर में ग्रामीण एवं सामाजिक विकास संस्था, भीलवाडा में एवं
चित्तौडगढ़ में केयर इण्डिया , राजसमंद में जतन संस्थान एवं उदयपुर में सेवा
मंदिर के सहयोग से प्रारंभ किया।
इस अभियान का उद्धेश्य लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए जागरूक
करना भी था जिससे कि अधिक से अधिक लोगों को इसकी जानकारी दी जा
सकें। 17 हज़ार कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों के परिवारों तक कोई बच्चा रहें
ना भूखा अभियान के माध्यम से पहुंचने में 263 खुशी कार्य कर्ताओं ने स्वेच्छिक सेवा
दे कर सुखा राशन एवं टेक होम राशन को 2460 अतिकुपोषित और कुपोषित परिवारों तक आंगनवाडी एवं आशा सहयोगिनी के सहयोग से उपलब्ध कराया। 9500 से अधिक जरूरतमंद परिवारों को सुखा राशन उपलब्ध कराया गया वहीं
स्थानीय दानदाताओं के सहयोग से 5061 परिवारों को खाद्यान्न की आपूर्ति की गयी जो कि अभी भी जारी है। इस अभियान के तहत् 3080 फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स
को पीपीई और 9490 परिवारों को मास्क उपलब्ध कराये गये।
विश्व में किसी भी देश की तुलना में भारत में बच्चों में कुपोषण से वेस्टिंग का
प्रतिशत अधिक हैं। देश में 69 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु का कारण कुपोषण है। वहीं
कोविड-19 महामारी इस प्रतिशत को कम करने में बडी चुनौती के रूप में सामने
आया है ऐसे में हिंदुस्तान जिंक का अभियान ‘‘कोई बच्चा रहें ना भूखा ‘‘ प्रदेश के
कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। देश में 10 में
से 4 बच्चें वेस्टिंग अर्थात बच्चें का वजन उसकी आयु के अनुपात में कम होना और
स्टंटिंग का अर्थात आयु के अनुपात में कद कम रहने की वजह से मानवीय क्षमता
तक नहीं पहुंच पाते हैं। भारत में 30 राज्यों में से राजस्थान इसमें 13 वें स्थान पर
है। दैनिक मजदूरी कर एक वक्त का भोजन मुश्किल से जुटा पाने वालें परिवारों
को महामारी कोविड-19 के समय में बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन जुटा पाना बहुत
ही मुश्किल था, लेकिन जिंक के कोई भी बच्चा भूखा ना रहें अभियान के तहत् 5
जिलों में कुपोषित बच्चों तक पोषण पहुंचाना संभव हो पाया है। जीरो हंगर और गुड हैल्थ सुनिश्चित करने का प्रयास ‘कोई बच्चा रहे ना भूखा‘ अभियान को टेक्नाॅलोजी से संभव किया गया। यह अभियान विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है,
जिससे कुपोषण के शिकार बच्चों और परिवारों को राजस्थान में इन 5 जिलों में
पोषण के लिए आवश्यक बुनियादी खाद्य आपूर्ति के साथ स्वास्थ्य का पता लगाने के
साथ ही महामारी की स्थिति में भी भोजन की आपूर्ति को संभव किया जा सका है।
इस अभियान के तहत् बच्चों, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और परिवारों के लिए
अच्छा स्वास्थ्य प्रदान कराने के लिए आंगनवाड़ी और आशा कार्य कर्ताओं के साथ
नियमित स्वास्थ्य जांच और कुपोषित बच्चों और गर्भवती-स्तनपान कराने वाली
महिलाओं का टीकाकरण किया जा रहा है और आईसीडीएस के माध्यम से, टीएचआर की उपलब्धता को सुनिश्चित किया गया है।