88वर्षीय वृद्ध ने ह्रदय की सफल बाईपास सर्जरी करवाकर दी उम्र को मात
1 min read88वर्षीय वृद्ध ने ह्रदयकीसफल बाईपास सर्जरी करवाकर दी उम्र को मात
आमतौरपर ये देखा जाता है कियदि किसी को सीने में दर्द, ह्रदय की कोई भी समस्या या हार्ट अटैक आता है तो रोगी और उसका परिवार घबरा जाता है, अक्सर लोगों में बाईपास सर्जरी को लेकर भय रहता है | जब हमहाइरटर्शरीसेंटर्समें जाकर देखते हैं जहाँपर बाईपास सर्जरी, वाल्व सर्जरी, बच्चों के ऑपरेशन इत्यादि रोजमर्रा में हो रहे होते हैं तो पता चलता है कि इस प्रकार के ऑपरेशनों में रिस्क बहुत कम है| आम लोगों में ये धारणा रहती है कि हार्ट का बाईपास ऑपरेशन ओपन हार्ट है, मतलब इसमें दिल को खोलना पड़ता है जबकि ऐसा बिलकुल नही है|यह क्लोज्ड हार्ट ऑपरेशन है|गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इस तरह के जटिल ऑपरेशनों को कार्डियकसाइंसेज़ केअनुभवीकार्डियक सर्जन, कार्डियक एनेस्थेसिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, पर्फ्युशनिस्ट ,आईसीयू, ओटी स्टाफ पिछले 10 वर्षों से लगातार कर रहे हैं | कार्डियक टीम के अनवरत प्रयासों से 88वर्षीय वृद्धका सफल इलाज कर उसे नया जीवन प्रदानकिया गया |
कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी ने बताया कियदि कोई भीवृद्धह्रदय रोगीजो चलता फिरता हो उसमें अच्छे सेजीने की चाहतहो तो वह ज़रुर ऑपरेशन करवा सकता है और उसके लिए भी बाईपास सर्जरी उतनी ही आसान है जितनी किसी युवा के लिए| जबकोई भी ह्रदय रोगी नाड़ियों में रुकावट के साथ परेशानी से जी रहा हैतोबेहतर है कि उचित उपचार या आवश्यकता होने पर ऑपरेशन करवाकर अच्छे से जीये जिससे रोगी को जीवनकीगुणवत्ताऔरउम्रदोनों बढ़ सकते हैं| बाईपास ऑपरेशन को धड़कते हुए दिल (बीटिंग हार्ट सर्जरी) पर छोटा सा चीरा लगाकर किया जाता है, बिना दिल को खोले बाईपास सर्जरी को अंजाम दिया जाता है, इसमें रोगी को दर्द भी कम होता है और स्वास्थ्य लाभ काफी जल्दी होती है| इस तरह के ऑपरेशन में हार्ट लंग मशीन का उपयोग भी नही किया जाता, गीतांजली हॉस्पिटल की कार्डियक साइंसेज विभाग में ऐसा ही एक मसला 88वर्षीय वृद्ध कादेखने को मिला| यह वृद्ध रिटायर्ड सिविल इंजिनियर है| पिछले काफी समय से रोगी
को अपने नियमित कार्यों को करने में परेशानी आ रही थी| ऐसे में रोगी का दवाइयों द्वारा भी इलाज किया गया परन्तु कोई सफलता नही मिली| रोगी की एंजियोग्राफी की गयीजिसमेंरोगी के दिल की बायीं मुख्य नाड़ी में 90 % रुकावट थी, बाकी की 3नाड़ियोंमें भी काफी रुकावट थी और दाहिनी आर्टरी में 100% रुकावट थी| रोगी की धड़कते दिल परबाईपास सर्जरी की गयी, जिसमे 4 बाईपास की नाड़ियाँ लगाई गयी| रोगी को 5 वें दिन हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी| रोगी अभी स्वस्थ है खाने, चलने में समर्थ है|
रोगी के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती थी समाज का भयना कि रोगी का ऑपरेशन ,रोगी और उसका परिवार ऑपरेशन करवाना चाहते थे, रोगी के परिवार के सदस्य अमेरिका में कार्डियक सर्जन हैं उनसे भी रोगी के परिवार ने सलाह ली और रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया| समाज की इस तरह की सोच को आज के सन्दर्भ में बदलना ज़रूरी है|
डॉ गाँधी ने जानकारी देते हुए बताया कि अब ह्रदय की बीमारी और इसके इलाज में किसी तरह का भय नही है आज नयी तकनीकों के आने से ऑपरेशन का रिस्क बहुत कम हो गया है| गीतांजली हॉस्पिटल मेंरोज़ाना 2- 3बाईपास ऑपरेशन किये जा रहे हैं| अनुभवी टीम और मल्टीडीसीप्लिनरी अप्प्रोच के साथ जटिल ऑपरेशन किये जा रहे हैं, जिससे रिस्क और भी कम हो जाता है| गीतांजली कार्डियक सेंटर में लेटेस्ट तकनीक से युक्त एक्मो भी उपलब्ध है|