October 10, 2024

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गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल उदयपुर में 76 वर्षीय वृद्ध महिला की देहदान अंतिम इच्छा को पुत्र ने किया पूरा

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पूरे परिवार का मानना है कि प्रत्येक परिवार में से कम से कम एक व्यक्ति का देह दान होना चाहिए क्यूंकि ये भी किसी मोक्ष धाम से कम नहीं

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में प्रतापनगर निवासी स्वर्गीय श्रीमती सयुक्ता खन्ना शुगर व हाइपर टेंशन की रोगी थी, रोगी को निमोनिया होने की स्तिथि में हॉस्पिटल में भर्ती किया गया| गंभीर स्तिथि के चलते रोगी को वेंटीलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया| परन्तु रोगी की उम्र और गंभीर हालत के चलते रोगी का देहान्त दिनांक 11-09-2024 हो गया| उनके पुत्र श्री दीपक खन्ना ने बताया कि उनकी माता जी कि अंतिम इच्छा थी कि उनके देहांत के पश्चात् उनके पार्थिव शरीर का देहदान कर दिया जाए | उनकी 76 वर्षीय माता जी का मानना था कि जीते जी तो सब काम आ जाते हैं परन्तु यदि मरने के बाद भी देह काम आ सके और जिससे भावी डॉक्टर्स अनुसन्धान कर सकें और समाज को अच्छे डॉक्टर मिले इसके लिए ये सोच रखना बहुत आवश्यक है और हमारी ज़िम्मेदारी भी|

आपको ज्ञात करा दें कि इसी परिवार से गत वर्ष श्रीमती ललिता पूरी का भी देहदान किया गया था|

इस पूरे परिवार का मानना है कि प्रत्येक परिवार में से कम से कम एक व्यक्ति का देह दान होना चाहिए क्यूंकि ये भी किसी मोक्ष धाम से कम नहीं|

एनाटोमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रकाश के.जी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्वर्गीय श्रीमती सयुक्ता खन्ना ने देहदान की इच्छा को उनके पुत्र द्वारा पूरा किया गया| समाज में इस जागरूकता का आना बहुत आवश्यक है|

देहदान प्रक्रिया के समय जीएमसीएच डीन डॉ संगीता गुप्ता, एडिशनल प्रिंसिपल डॉ मनजिंदर कौर, एनाटोमी विभाग में डॉ मोनाली सोनवाने, डॉ सानिया के, डॉ सौरभ, डॉ संभव, मेनेजर ब्रांडिंग एंड पी.आर. कम्युनिकेशन हरलीन गंभीर, बीडीएस प्रथम वर्ष के विधार्थी, गीतांजली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी व देहदान दाता का परिवार मौजूद रहे|

जीएमसीएच डीन डॉ संगीता गुप्ता ने गीतांजली हॉस्पिटल के समस्त सदस्यों की ओर से स्वर्गीय श्रीमती सयुक्ता खन्ना को विनम्र श्रधांजलि दी व उनके परिवार को उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने हेतु शत-शत नमन किया और साथ ही सर्टिफिकेट ऑफ़ एप्रीसिएशन भी प्रदान किया गया|

इन सवालों को समझे देह दान कैसे कर सकते हैं और जरूरी क्यों है?

देह दान क्यों करना चाहिए?

विज्ञान की प्रगति के लिए मृत्यु पश्चात अपना शरीर दान करना एक अनूठा और अमूल्य उपहार है दान किए गए शरीर का उपयोग भविष्य के डॉक्टरों और नर्सों को पढ़ाने प्रशिक्षण देने सर्जन को प्रशिक्षित करने व वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए किया जाता है|

देह दान कौन कर सकता है?

कोई भी भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष से अधिक आयु का है और कानूनी रूप से वैध सहमति देने योग्य है वह शरीर रचना में भाग एनाटॉमी जीएमसीएच उदयपुर में एक संपूर्ण शरीर दाता के रूप में पंजीकृत करा सकता है| यदि पंजीकृत ना हो तब भी मृतक के शरीर पर कानूनी अधिकार रखने वाले परिजन अभिभावक मृतक का शरीर दान कर सकते हैं|

अधिक जानकारी हेतु किससे संख्या संपर्क कर सकते हैं?

अधिक जानकारी हेतु गीतांजलि मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग में संपर्क कर सकते हैं|